देहरादून। उत्तराखंड में हड़ताल पर बैठे तीनों ऊर्जा निगमों के 3500 से ज्यादा कर्मचारियों पर सरकार ने सख्ती बरती है। सोमवार और मंगलवार को वार्ता के बाद भी जब कर्मचारी नहीं माने तो सरकार ने हड़ताली कर्मचारियों पर एस्मा लगा दिया है। अपर सचिव भूपेश चंद्र तिवारी ने इसके आदेश जारी कर दिए हैं। वहीं, इसके बाद ऊर्जा मंत्री के आश्वासन पर माने कर्मचारियों ने हड़ताल स्थगित कर दी है। मंत्री हरक सिंह ने कर्मचारियों को एक महीने का समय दिया है।
14 सूत्री मांगों को लेकर यूपीसीएल, यूजेवीएनएल, पिटकुल के 10 संगठनों के करीब 3500 बिजली कर्मचारी चरणबद्ध आंदोलन चला रहे थे। वहीं, इससे पहले यूपीसीएल मुख्यालय में वार्ता के दौरान एमडी दीपक रावत और मोर्चा के संयोजक अंसार उल हक के बीच जमकर तू-तू मैं-मैं हुई। कर्मचारी नारेबाजी करते हुए गुस्से में बाहर निकल गए। उन्होंने इस बात पर सख्त आपत्ति जताई है कि एमडी ने उनके साथ बदतमीजी की। इधर, बिजली न आने की वजह से ऊर्जा मंत्री हरक सिंह रावत की वार्ता जेनरेटर चलाकर हुई। सर्वे चौक स्थित कौशल विकास केंद्र के कॉन्फ्रेंस रूम में कर्मचारी संगठनों की वार्ता की गई । वार्ता में तीनों निगमों के एमडी और अपर सचिव ऊर्जा नीरज खैरवाल भी रहे। बता दें कि सरकार ने सोमवार को ही कहा था कि अगर वार्ता की तमाम कोशिशों के बावजूद बिजली कर्मचारी हड़ताल पर अड़े रहे तो उन पर आवश्यक सेवा अनुरक्षण कानून (एस्मा) भी लागू किया जाएगा। हड़ताल के बाद उत्तरकाशी में मंगलवार सुबह मनेरी भाली एक और मनेरी पाली दो की टरबाइन थमी गई है। जिससे विद्युत उत्पादन ठप हो गया है। वहीं, उत्तरकाशी के कई इलाकों में बिजली गुल है। ऊर्जा निगम में सचिव ऊर्जा सौजन्या, एमडी दीपक रावत, पूर्व एमडी नीरज खैरवाल सहित कई अधिकारी मौजूद हैं। अधिकारी लगातार कर्मचारियों को समझाने में जुटे हैं। वहीं, देहरादून में भी कई फीडर से बिजली आपूर्ति बाधित हो गई है। दून के सभी बिजलीघरों में ताले लटके हैं। अधिकारियों के मोबाइल बंद हैं। उधर, बिजली कटने की वजह से लोग भी परेशान हो रहे हैं। राजधानी देहरादून में भी 20 फीसदी इलाकों में बिजली आपूर्ति ठप है। उत्तराखंड जल विद्युत निगम लिमिटेड के लगभग सभी पावर हाउस में बिजली उत्पादन रुक गया है। बता दें कि रात मलेरी भाली परियोजना ठप होने की वजह से सरकार ने करीब 250 मेगावाट बिजली एनटीपीसी से ली है।
ऊर्जा निगम के कार्मिक पिछले 4 सालों से एसीपी की पुरानी व्यवस्था तथा उपनल के माध्यम से कार्य कार्योजित कार्मिकों के नियमितीकरण एवं समान कार्य हेतु समान वेतन को लेकर लगातार सरकार से वार्ता कर रहे हैं। 22 दिसंबर 2017 को कार्मिकों के संगठनों तथा सरकार के बीच द्विपक्षीय समझौता हुआ परंतु आज तक उस समझौते पर कोई कार्यवाही नहीं हुई। ऊर्जा निगम के कार्मिक इस बात से क्षुब्ध हैं कि सातवें वेतन आयोग में उनकी पुरानी चली आ रही 9-5-5 की एसीपी व्यवस्था को समाप्त कर दिया गया है, जो कि उन्हें उत्तर प्रदेश के समय से ही मिल रही थी। यही नहीं पे मैट्रिक्स में भी काफी छेड़खानी की गई। संविदा कार्मिकों को समान कार्य समान वेतन के विषय में कोई कार्यवाही नहीं हुई। इसके अतिरिक्त ऊर्जा निगमों में इंसेंटिव एलाउंसेस का रिवीजन नहीं हुआ।