विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस पर हेपेटाईटस के प्रति जागरूक किया

शिक्षा हरियाणा समाचार

फरीदाबाद. राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन एच तीन फरीदाबाद में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और विश्व प्राकृतिक संरक्षण और विश्व हेपेटाइटस दिवस पर वर्चुअल जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। कार्यक्रम में वर्चुअल पोस्टर और पेंटिंग बना कर प्रकृति के संरक्षण और हेपेटाइटस के प्रति जागरूक किया। रविंद्र कुमार मनचन्दा ने बताया कि हमारी धरती मां की रक्षा में संसाधनों के प्रकृति संरक्षण में मुख्य भूमिका है प्रकृति के जल, वायु, मिट्टी, ऊर्जा, वनस्पति, खनिज, जीव-जंतुओं आदि को संरक्षित करके पृथ्वी की प्राकृतिक सुंदरता में संतुलन बनाए रखा जा सकता है। प्रसिद्ध रूसी लेखक लियो टॉलस्टॉय कहते है कि खुशी की पहली शर्तों में से एक यह है कि मनुष्य और प्रकृति के बीच की कड़ी को नहीं तोड़ा जाना चाहिए। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस इस बात के लिए जागरूक करता है कि एक स्वस्थ पर्यावरण एक स्थिर और स्वस्थ मानव समाज की नींव है। विश्व प्रकृति संरक्षण दिवस मनाने का मुख्य उद्देश्य उन जानवरों और पेड़ों का संरक्षण करना है जो पृथ्वी के प्राकृतिक पर्यावरण से विलुप्त होने के कगार पर हैं। जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि हमें आत्म निरीक्षण करना है कि हम सभी किस प्रकार प्रकृति का शोषण कर रहे हैं और इसके संरक्षण के लिए कदम उठा रहे हैं, प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन के कारण हम ग्लोबल वार्मिंग, विभिन्न बीमारियों, प्राकृतिक आपदाओं, बढ़े हुए तापमान आदि के प्रकोप का सामना कर रहे हैं। दूषित पर्यावरण के लिए हम सभी उत्तरदायी हैं और इस लिए हैपेटाईटस जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं। रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि हैपेटाईटस खामोशी के साथ व्‍यक्ति की मृत्‍यु का कारण बनता है और जब‍ तक व्‍यक्ति को इस संक्रामक रोग से पीडि़त होने का पता चलता है तब तक बहुत देर हो चुकी होती है। उन्‍होंने कहा कि विश्‍व के 11 प्रतिशत हैपेटाईटस रोगी भारत में हैं। वायरल हेपेटाइटिस के कारण लिवर कैंसर सहित अनेक स्वास्थ्य समस्याएं उत्‍पन्‍न हो जाती है। इस वर्ष विश्व हेपेटाईटस दिवस का विषय है- हेपेटाईटस इंतजार नहीं कर सकता। इस से तात्‍पर्य है कि सार्व जनिक स्वास्थ्य के खतरे के रूप में हेपेटाईटस को समाप्‍त करने के लिए तत्‍काल प्रयासों की आवश्‍यकता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में हेपेटाइटिस से जुड़ी बीमारी से हर 30 सेकंड में एक व्यक्ति की मृत्यु होती है।हेपेटाईटस ए और ई दूषित भोजन और जल के सेवन से होता है। हेपेटाईटस बी, सी और डी सामान्यतः संक्रमित रक्त और शरीर के तरल पदार्थों के संपर्क से होता है। हेपेटाईटस के मुख्य लक्षण में व्‍यक्ति की आंखें और शरीर का रंग पीला पड़ने लगता है। इस संक्रमण की मुख्य पहचान पीलिया, त्वचा और आंखों का पीला पड़ना, यूरिन का रंग गहरा होना, अत्यधिक थकान, उल्टी, पेट दर्द, सूजन, भूख कम लगना, वजन घटना प्रमुख लक्षण हैं। कई बार इससे हर वक्त बीमार महसूस होना, सिरदर्द होना, चिड़चिड़ापन बढ़ना, अचानक शरीर नीला पड़ना आदि भी शामिल है। इसलिए आवश्यक है कि हम सब मिलकर प्रकृति संरक्षण के लिए कार्य करते हुए अधिक से अधिक पौधरोपण कर प्रदूषण दूर करते हुए हेपेटाइटिस जैसी बीमारियों से बचें। आज गणित प्राध्यापिका डॉक्टर जसनीत कौर और प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने विश्व प्रकृति संरक्षण और हेपेटाइटस दिवस पर सुंदर पोस्टर और पेंटिंग बनाने वाली छात्राओं सृष्टि, संध्या, शिवानी और साक्षी का स्वागत और अभिनंदन किया तथा सभी को जागरूक करने के लिए आभार प्रकट किया।

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