हिरोशिमा दिवस – वैश्विक शांति से ही सभी का विकास

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राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन एच तीन फरीदाबाद में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने हिरोशिमा दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किया। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि परमाणु युग में अस्त्रों की स्पर्धा में विश्व में ऐसे राष्ट्र और व्यक्तियों का अभाव नहीं है जो व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए विश्व को परमाणु युद्ध की आग में झोंक सकते हैं। उचित समन्वय और वैश्विक शांति से सभी समस्याओं का समाधान निकालना संभव है। रविंद्र कुमार मनचन्दा ने हिरोशिमा पर परमाणु बम गिराए जाने के बारे में बताते हुए कहा कि आज से 76 वर्ष पहले 6 अगस्त 1945 को अमेरिका ने जापान के हिरोशिमा शहर पर परमाणु हमला किया था। इसके तीन दिन बाद ही जापान के नागासाकी शहर पर दूसरा परमाणु बम गिराया गया। दोनों शहर लगभग पूरी तरह से नष्ट हो गए। दो लाख से अधिक लोगों की जान चली गई और जो बच गए, उनकी जिंदगी बद से बदतर हो गई। हिरोशिमा नगर पर लिटिल बॉय नामक यूरेनियम बम गिराया था। इस बम के प्रभाव से 13 वर्ग कि.मी. में तबाही मच गयी थी। हिरोशिमा की 3.5 लाख की जनसंख्या में से एक लाख चालीस हज़ार लोग एक साथ में मारे गए। ये सब सैनिक नहीं थे। इनमें से अधिकांश साधारण नागरिक, बच्चे, बूढ़े तथा स्त्रियाँ थीं। इसके बाद भी अनेक वर्षों तक अनगिनत लोग विकिरण के प्रभाव से मरते रहे। वर्ष 1945 में दूसरे विश्वयुद्ध निर्णायक दौर में पहुंच रहा था। मित्र देशों की जीत लगभग तय हो चुकी थी। जर्मनी ने आत्मसमर्पण कर दिया था और सिर्फ जापान ही था जो मित्र देशों को टक्कर दे रहा था। जुलाई 1945 में अमेरिकी राष्ट्रपति हैरी ट्रूमैन, ब्रिटिश प्रधानमंत्री विंस्टन चर्चिल और सोवियत संघ के नेता जोसेफ स्टालिन जर्मनी के शहर पोट्सडम में मिले। यदि जापान बिना किसी शर्त के समर्पण नहीं करता है तो उसके खिलाफ सख्त कदम उठाने होंगे। आज प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा, कॉर्डिनेटर गणित प्राध्यापिका डॉक्टर जसनीत कौर ने छात्राओं सृष्टि, प्राची, शिवानी और संध्या का ब्रह्माण्ड को नष्ट करने वाले हथियारों की होड़ छोड़ कर वैश्विक शांति बनाए रखने का संदेश देने के लिए अभिनंदन किया।

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