राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन एच तीन फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड द्वारा विश्व अंगदान दिवस पर प्राचार्य रविन्दर कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। जे आर सी, ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि देने की प्रक्रिया अर्थात दान शब्द अति शब्द है। देना शब्द परम संतुष्टि प्रदान करता है। दान के बदले किसी प्रकार का विनिमय नहीं हो सकता। किसी को यदि हम कुछ देतें हैं जिसे उसकी अत्यन्त आवश्यकता थी तो उसे परम संतोष होता है और उससे दाता को परमानन्द की अनुभूति होती है। दान के विविध रूप हैं। अर्थ दान, क्षमा दान, अभय दान, विद्या दान, अंगदान एवं देह दान आदि। देहदान से कई या अनगिनत लोगों का कल्याण हो सकता है। मेडिकल की पढाई में मृत देह अतिउपयोगी होता है। प्रयोग हेतु मृत देह का उपयोग करने से कई व्यक्तियों का सर्जरी एवं अनेक तरह की चिकित्सा में विकास सम्भव होता है। सभी दान की अपनी अपनी विशेषताएं हैं लेकिन अपना अंग दान देना किसी मानव के प्रति बहुत बड़ा उपकार है। अंग दान से जीवन दान मिलता है। अतः यह सभी दानों में सर्वोपरि है। वास्तव में अंग दान महादान है। छात्राओं ने अंगदान के बारे में आकर्षक स्लोगन लिख कर अनमोल जीवन बचाने का संदेश दिया। प्राचार्य रविन्दर कुमार मनचन्दा ने बताया कि जागरूकता की कमी और समाज में व्याप्त भ्रांतियों के कारण हम लोग मृत्योपरांत अंगदान से कतराते है किसी जीवित या मृत व्यक्ति के शरीर का ऊतक या कोई अंग दान करना अंगदान कहलाता है। यह ऊतक या अंग किसी दूसरे जीवित व्यक्ति के शरीर में प्रत्यारोपित किया जाता है। इस कार्य के लिये दाता के शरीर से दान किये हुए अंग को शल्यक्रिया द्वारा निकाला जाता है। रविंदर कुमार मनचन्दा और गणित प्राध्यापिका डॉक्टर जसनीत कौर ने कहा कि एक व्यक्ति अपने जीते जी लीवर का हिस्सा, एक किडनी, बोन मेरो और रक्त दान कर सकता है रक्त दान तो अब सामान्य हो गया है। डॉक्टर्स के अनुसार ब्रेन डेड की अवस्था मे रोगी को ब्रेन डेड घोषित करनेके बाद डॉक्टर्स का पैनल रोगी के परिजनों को रोगी के आवश्यक अंगों को डोनेट करने के लिए मोटीवेट करते है ताकि वे अंग जरूरतमंद व इंतजार कर रहे लोगों को प्रत्यारोपित किये जा सके और उन का अनमोल जीवन बचाया जा सके।अंगदान के अंतर्गत बच्चों को बताया गया कि एक ब्रेन डेड व्यक्ति द्वारा किये गए अंगदान से कम से कम सात आठ लोगो का जीवन बचाया जा सकता है। हार्ट, लिवर, किडनी, इंटेस्टाइन आदि अंगों को दूसरे के शरीर मे प्रत्यारोपित कर उन के जीवन को उजियारा बनाने के लिए जागरूकता की आवश्यकता है। विकसित और पश्चिमी देश विशेष रूप से स्वीडन अंगदान में अग्रणी है। प्राचार्य रविन्दर कुमार मनचन्दा और गणित प्राध्यापिका डॉक्टर जसनीत कौर ने आकर्षक सलोगन लिखने वाली सभी छात्राओं कुसुम, शिवानी, भूमिका, निशा और कविता की हौसला अफजाई की।