देहरादून। उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियो ने 27 सितंबर को आयोजित “भारत बंद” को “खुला समर्थन” दिया है । उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारियों के सबसे बड़े संगठन चिन्हित राज्य आंदोलनकारी संयुक्त समिति के केंद्रीय मुख्य संरक्षक धीरेंद्र प्रताप ने आज पत्रकारों से बातचीत करते हुए यह ऐलान करते हुए कहा है कि भारत बंद की जो मांगे हैं राज्य निर्माण आंदोलनकारी उन्हें पूरी तरह से उचित मानते हैं और इसीलिए उन्होंने तय किया है कि 27 सितंबर के भारत बंद को उत्तराखंड राज्य निर्माण आंदोलनकारी भी अपना खुला समर्थन देंगे ।
उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की देश और प्रदेशो में चल रही सरकारे निरंतर “जनविरोधी ,किसान विरोधी और गरीब विरोधी बनी हुई है। यही नहीं उत्तराखंड राज्य में जिन लोगों ने उत्तराखंड राज्य निर्माण में अहम भूमिका निभाई उनका लगातार अपमान भाजपा की राज्य सरकार के तीनों मुख्यमंत्रियों द्वारा किया जाता रहा है। यही कारण है कि आंदोलनकारियों ने 27 सितंबर के बंद को” एक सही कदम “ठहराते हुए बंद का समर्थन करने का निर्णय लिया है .उन्होंने कहा कि उत्तराखंड सरकार ने लगातार उत्तराखंड निर्माणकर्ताओं की अवहेलना की है और उन्हें अपमानित किया है ।नए मुख्यमंत्री ने भारी जन दबाव और लगातार राज्य निर्माण आंदोलनकारियों के निरंतर संघर्ष के बाद कुछ घोषणाएं की भी हैं तो वह सब “आधी अधूरी_ है और ऐसा लगता है कि आगामी 2022 के चुनाव में भाजपा को लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से की गई हैं .
उन्होंने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मांग की है कि वे तुरंत आंदोलनकारियों के चिन्हिकरण के मसले में पिछले समय में जो अखबारों की कतरनों के आधार पर चयनित आंदोलनकारी हैं ,उस मानक को बनाए रखें जिससे कि आंदोलनकारियों में निराशा पैदा ना हो और समता के आधार पर उनका भी अन्य चिन्हित आंदोलनकारियों की तरह चयन हो सके।उन्होंने कहा एक ही मामले में एक राज्य में दो कानून नहीं बन सकते। उन्होंने आंदोलनकारियों के चयन के लिए अखबारों के कतरनों के मानक को बनाए रखने की मुख्यमंत्री से गुजारिश की ।उन्होंने गैरसैंण को आंदोलनकारियों के सपनों के अनुरूप तत्काल स्थाई राजधानी घोषित किए जाने की मांग की और कहा कि जब तक गैरसैंण को स्थाई राजधानी नहीं बनाया जाता और आंदोलनकारियों को 10% आरक्षण नहीं दिया जाता तब तक राज्य निर्माण आंदोलनकारी चैन से नहीं बैठेंगे ।उन्होंने आंदोलनकारियों से आवान किया वे 27 सितंबर को सड़कों पर आएं और भारत बंद समर्थकों का सहयोग करें ।