ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती ने यूनिसेफ के दक्षिण एशिया के क्षेत्रीय कार्यालय में रिलिज़न फाॅर पीस और यूनिसेफ के साथ साझेदारी में पहली त्रि-पक्षीय क्षेत्रीय उच्च-स्तरीय बैठक में सहभाग किया। ज्ञात हो कि यूनिसेफ का बच्चों की भलाई और कल्याण के लिए धर्म और आस्था आधारित नेताओं और नागरिक समाज के भागीदारों के साथ सक्रिय रूप से कार्य करने का एक लंबा इतिहास रहा है। दक्षिण एशिया में जहां बड़ी आबादी, असमानताएं और सामाजिक शत्रुता के बीच जीवन यापन कर रही हैं, उनके सहयोग और जीवन में शांति हेतु वैश्विक धर्मगुरूओं को एक साथ ऑनलाइन प्लेटफार्म पर आमंत्रित किया है। इस वेबनाॅर का उद्देश्य बच्चों, युवाओं, महिलाओं और हासिए पर रह रहे परिवारों की भलाई, कल्याण, उनके जीवन में सकारात्मक सुधार तथा सामाजिक और व्यवहारिक स्तर पर परिवर्तन लाने के लिये मिलकर प्रयास करना है। इस अवसर पर कई देशों के धार्मिक मामलों के प्रभारी मंत्रालयों और राज्य निकायों सहित अन्य देशों में सक्रिय प्रमुख धार्मिक नेताओं, आस्था अभिनेताओं और एफबीओ ने इस कार्यक्रम में सहभाग किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि मानव के अधिकारों की रक्षा तभी संभव है जब प्रकृति और पर्यावरण के अधिकार सुरक्षित होंगे। साथ ही मौलिक सुविधाओं को अन्तिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचाने के लिये उन समुदायों को अपने अधिकारों के बारे में जागरूक करना जरूरी है ताकि 21 सदी में भी जो गुलामी की जिन्दगी जी रहे है उन्हें आजादी मिल सके। भारत सहित विश्व के अनेक देश ऐसे है जहां पर निवास कर रही बड़ी आबादी तक मौलिक सुविधाओं की पहुंच नहीं है। प्रत्येक व्यक्ति की मौलिक सुविधाओं तक पहुंच को सुनिश्चित करने पर समाज में विलक्षण परिवर्तन हो सकता है। अब समय आ गया है कि हम मानव के जीवन की रक्षा के साथ प्रकृति और पर्यावरण की सुरक्षा पर भी विशेष ध्यान दें क्योंकि नैसर्गिक अधिकारों की रक्षा के लिये नैसर्गिक जीवन शैली अपनाना नितांत आवश्यक है। साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि बच्चों, महिलाओं और मौलिक सुविधाओं के अभाव में जीवन यापन कर रहे लोगों का जीवन तभी सुरक्षित रह सकता है जब हमारी वायु, मिट्टी और जल सुरक्षित रहेंगे, इसके लिये हमें प्रकृति का संरक्षण मिलकर करना होगा। उन्होंने कहा कि ये धरती हम सब की है, भारतीय संस्कृति का तो सूत्र वाक्य भी यही है वसुधैव कुटुम्बकम्, हम सब एक परिवार है।