देहरादून। आज के इस अवसर पर पूज्य मोरारी बापू ने कहा कि यदि कोई मुझसे पूछे कि राष्ट्रीय ध्वज के तीन रंगों की आपके दृष्टिकोण से क्या परिभाषा है, तो मैं सात्विक, दार्शनिक और वास्तविक अर्थों में इसकी व्याख्या करूँगा कि ऊपर का केसरिया रंग सत्य का प्रतीक है।। सत्य सबसे ऊपर है। बीच में सफेद रंग प्रेम का प्रतीक है। प्यार उज्जवल है और बेदाग होना चाहिए। और हरा रंग पौधों का हरा रंग है। हम धरती को हरा-भरा कहते हैं। हरा रंग करुणा का प्रतीक है। हमारा देश कितना खूबसूरत और महान है,यहां हर स्थान पर खूबसूरत नजारा है! इस पावन दिवस पर सभी भारतीयों को बधाई। मैं कामना करता हूं कि यह झंडा हमेशा के लिए दुनिया भर में और ऊंचाई पर फहरता रहे ।
यहां यह उल्लेखनीय है कि जहां भी बापू की रामकथा होती है, वहां नौ दिनों तक कथा मंडप पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया जाता है। हर साल 15 अगस्त और 26 जनवरी को जब भी भारत में या दुनिया में कहीं भी रामकथा चल रही होती है तो वे राष्ट्रध्वज वंदन भी करते हैं। फिर भारत, चीन, अमेरिका, ब्रिटेन या कोई भी अन्य देश या प्रांत हो। राष्ट्र वंदना हमेशा बापू और रामकथा के श्रोताओं द्वारा की जाती रही है।