ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में पतंजलि योगपीठ के महासचिव आचार्य बालकृष्ण पधारे। परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने पुष्पवर्षा और शंख ध्वनि से आचार्यश्री का अभिनन्दन किया। 75 वंेे अमृत महोत्सव के अवसर पर परमार्थ निकेतन में पर्यावरण, नदियों, माँ गंगा को समर्पित मानस कथा में आचार्य श्री ने सहभाग कर सभी को आशीर्वाद प्रदान किया।
आचार्य बालकृष्ण जी ने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती और मानस कथाकार संत मुरलीधर से भेंट कर आध्यात्मिक, योग और आयुर्वेद के विषयों पर चर्चा की।
पूज्य स्वामी जी के अवतरण दिवस के अवसर पर आयोजित सेवा सप्ताह में आचार्य श्री को आयुर्वेद के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिये सम्मानित करने का आहवान किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि निर्माण करते हुये निर्वाण की यात्रा यही श्री राम कथा का सार है। आचार्य श्री प्रतिघंटा कुछ नया करते है, वे धरती पर भी पेड़ पौधों के माध्यम से प्रतिदिन कुछ नया करते रहते हैं। आचार्य श्री पलायन करने वाले लोगों को वापस पहाड पर लाने के लिये पंख लगाने का कार्य कर रहे हंै। वे जो भी करते हंै अद्भुत करते है; हर हाल में मस्त रहते है और कुछ नया करते है। वे आयुर्वेद के माध्यम से संजीवनी देते रहते हंै। आज के युग के आधुनिक विश्वकर्मा जी है हमारे आचार्य श्री।
आचार्य बालकृष्ण जी ने भारतीय संस्कृति व परम्पराओं को पूरी दुनिया में गुंजायमान करने वाले पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और कथा के साथ साधकों को साधना, उपासना से जोड़ने के लिये समर्पित मुरलीधर जी महाराज का अभिनन्दन करते हुुये कहा कि तीर्थ स्वयं में जागृत होते हैं उनमें मां गंगा एक जागृत देवी हैं, अद्भुत तीर्थ है। तीर्थ में तीर्थ रूप महापुरूषों के द्वारा कही गयी कथा का फल भी अद्भुत होता है। कथा श्रवण कराने वाले महापुरूष भी जागृत तीर्थ के समान है। उन्होंने कहा कि सही चीजों को सुनने से बेड़ा पार हो जाता है और गलत चीजों को सुनने से जीव बंधनों में पड़ जाता हंै इसलिये आज जरूरत है हमें कोई सही चीज सुनाये और यह कार्य पूज्य महाराज श्री द्वारा निरंतर चल रहा है। मानस कथा को गाने और जीने वाले है हमारे मुरलीधर जी। योग, आयुर्वेद और कथा श्रवण साथ-साथ चलता रहे यही तो जीवन है। भारतीय संस्कृति भागने की नहीं पुरूषार्थ करने की संस्कृति है।
मानस कथाकार संत श्री मुरलीधर जी ने कहा कि आचार्य श्री ने आयुर्वेद के माध्यम से न केवल भारत बल्कि पूरे विश्व को जो दिया है उस पुरूषार्थ को सदियों तक याद किया जायेगा और सदियों तक सभी आपके ऋणी रहेंगे। निष्काम भाव से आज भी पूरे विश्व की सेवा कर रहे हैं वह अनुकरणीय है।स्वामी जी ने रूद्राक्ष का दिव्य पौधा और पुष्पहार से आचार्यश्री का अभिनन्दन किया।