हरिद्वार, 04 अगस्त। आजादी के अमृत महोत्सव में पतंजलि योगपीठ के महामंत्री और पतंजलि विश्वविद्यालय के कुलपति श्रद्धेय आचार्य बालकृष्ण जी महाराज का 50वाँ जन्मदिवस ‘स्वर्णजयन्ती महोत्सव’ व ‘जड़ी-बूटी दिवस’ के रूप में मनाया गया। आजादी के 75वें वर्ष के अवसर पर पूज्य आचार्य बालकृष्ण जी महाराज द्वारा रचित 75 ग्रन्थों को जनलोकार्थ लोकार्पित किया गया। साथ ही विविध रोगों के उपचार हेतु 51 नई औषधियों का भी लोकार्पण किया गया।
इस अवसर पर उत्तराखण्ड के महामहिम राज्यपाल ले.जन. गुरमीत सिंह ने आचार्य जी को 50वें जन्मदिवस की शुभकामनाएँ प्रेषित करते हुए कहा ये जड़ी-बूटियाँ बोल नहीं सकती किन्तु आज आचार्य जी ने इनका नामकरण किया है। 51 वॉल्यूम के रूप में आज ये जड़ी-बूटियाँ भी आशीर्वाद दे रही हैं। पूज्य आचार्य जी ने जड़ी-बूटियों को एक सूत्र में पिरोकर महाग्रन्थों की रचना की है जिससे भारतीय संस्कृति व चिकित्सा की जड़ें और मजबूत होंगी। राज्यपाल महोदय ने कहा कि मुगलों व अंग्रेजों के जमाने में भारतीय वनस्पतियों व औषधीय रूपी जड़ी-बूटियों की उपेक्षा हुई, इन्हें पुनः सम्मान प्रदान करने का कार्य आचार्य जी ने किया है। उनके द्वारा किया गया यह पुरुषार्थ आने वाली पीढ़ियाँ सदियों तक याद रखेंगी।
कार्यक्रम में पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज ने कहा कि भारतीय ज्ञान के क्षेत्र में, आयुर्वेद परम्परा में, आयुर्वेद के अवतरण के विषय में श्रद्धेय आचार्य जी ने इतिहास लिखा ही नहीं अपितु इतिहास गढ़ा भी है। उन्होंने पूर्वज ऋषियों की प्राचीन परम्परा को आगे बढ़ाया है। 5 लाख से ज्यादा श्लोकों के साथ ऋषि परम्परा के अनुकूल विश्व भैषज संहिता हो, सौमित्रेय निघण्टु हो, सौमित्रेय निदानम् की रचना करके उन्होंने अद्भुत कार्य किया है। उन्होंने कहा कि जब हम किसी बड़े व्यक्तित्व के विविध आयामों को देखते हैं तो शब्द भी निशब्द हो जाते हैं। आस्ट्रेलिया की माता सोमा नायर ने आचार्य जी के जीवन, चरित्र व व्यक्तित्व पर आधारित, जीवन के पूर्वार्ध में अब तक की आचार्य जी की उपलब्धियों पर आधारित पुस्तक ‘साधना से सृजन’ की रचना कर अद्भुत प्रयास किया है, जिसका आज विमोचन किया जा रहा है। यह पुस्तक आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणाप्रद होगी।
पूज्य स्वामी जी ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव पर 75वें स्वाधीनता पर्ष पर 75 ग्रन्थों की सौगात पतंजलि की ओर से मिल रही है। उन्होंने कहा कि आज तीन बड़े कार्य एकसाथ हो रहे हैं। पहला- भारतीय ज्ञान परम्परा में नया अवदान, जो आने वाले समय में हजारों-लाखों वर्षों तक जब-जब आयुर्वेद के इतिहास को याद किया जाएगा तो श्रद्धेय आचार्य जी के योगदान को स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। दूसरा- आयुर्वेद में कई रोगों का उल्लेख नहीं था, वक्त के साथ रोग बढ़ते जा रहे थे उनके उपचार के लिए 51 नई औषधियों का निर्माण कर चिकित्सा के क्षेत्र में बड़ा कार्य पतंजलि के माध्यम से आज हो रहा है। हमारे पूर्वजों ने हमें जो ज्ञान दिया, उसमें नए ज्ञान, नए अनुसंधान, नई साधना और नई सेवाओं का समावेश हमने पतंजलि के माध्यम से किया है। आज योग-आयुर्वेद एक जनांदोलन बन चुका है। तीसरा- भारतीय शिक्षा बोर्ड का गठन। जहाँ एक ओर पूरा विश्व शिक्षा की नई दिशाएँ खोज रहा था। शिक्षा की नई दिशाएँ भारतीय शिक्षा बोर्ड और पतंजलि विश्वविद्यालय से मिलेंगी। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के आह्वान पर 15 अगस्त को ‘हर घर तिरंगा’ अभियान के तहत स्वामी जी ने अपनी सभी सोशल मीडिया साइट्स से अपनी फोटो हटाकर तिरंगा लगाने के निर्देश दिए तथा सभी देशवासियों को इस अभियान में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लेने के लिए आह्वान किया।
जूनापीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी अवधेशानंद जी महाराज ने आचार्य जी के अवतरण दिवस पर शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि यह अद्भुत संयोग है कि आजादी के अमृत महोत्सव में पूरे देश में अनेक आयोजनों की शृँखला में पतंजलि नए कीर्तिमान गढ़ रहा है। उन्होंने कहा कि पतंजलि अब मात्र एक संस्था नहीं अपितु युगधर्म बन गया है। संस्कृति का उच्चतम प्रतिमान यदि कोई है तो वह पतंजलि है। उन्होंने भारतीय शिक्षा बोर्ड के विषय में कहा कि भारतीय शिक्षा बोर्ड भारतीय संस्कृति, संस्कार व परम्पराओं का संवाहक होगा और इसका श्रेय पूज्य स्वामी जी व श्रद्धेय आचार्य जी को जाता है।
उत्तराखण्ड मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने पूज्य आचार्य जी को पंचमुखी हनुमान जी की प्रतिमा उपहार स्वरूप भेंट कर कहा कि आयुर्वेद शिरोमणि, महान् अनुसंधानकर्ता, महान् ऋषि परम्परा के अनुगामी तथा वर्तमान 75 ग्रन्थों के रचयिता आयुर्वेद की प्रतिष्ठा को बढ़ा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद मात्र एक चिकित्सा पद्धति नहीं अपितु समग्र मानव दर्शन है। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत है जिसमें सम्पूर्ण विश्व का कल्याण निहित है। कोरोना महामारी में पूरे विश्व में आयुर्वेद को अपनाया। उन्होंने कहा कि पतंजलि के प्रयासों से आज आयुर्वेद की स्वीकार्यता पूरे विश्व में बढ़ रही है।
इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण जी महाराज ने कहा कि आजादी के अमृत महोत्सव में आजादी की 75वीं वर्षगांठ पर 75 अनुसंधानात्मक पुस्तकों के माध्यम से लोगों की सेवा, देश और दुनिया के लोगों को निरोगी बनाने के लिए, श्रद्धेय स्वामी जी के रोगमुक्त भारत-रोगमुक्त विश्व मिशन के साथ अनुसंधान के द्वारा भारतीय संस्कृति परम्परा को स्थापित करने का महति प्रयास है। आचार्य जी ने कहा कि वर्ल्ड हर्बल इन्साइक्लोपीडिया के कुल 109 वॉल्यूम तैयार किए जाने हैं जिनमें पूरी दुनिया की जड़ी-बूटी आश्रित चिकित्सा पद्धति में औषधी के रूप में पूरी दुनिया में प्रयोग होने वाले पेड़-पौधों को शामिल किया जाना है। आज 51 वॉल्यूम का लोकार्पण किया गया है। शेष 58 वॉल्यूम हमारा आगामी वर्ष का लक्ष्य है। उन्होंने सभी देशवासियों को 15 अगस्त पर हर घर तिरंगा अभियान में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। साथ ही 2 लाख तिरंगे संस्था की ओर से निःशुल्क वितरित करने की घोषणा की जिसमें विविध संगठनों के साथ-साथ उत्तराखण्ड के सरकारी कार्यालयों हेतु 50 हजार तिरंगे ध्वज प्रदान किए जाएंगे। उन्होंने नई 51 औषधियों के विषय में कहा कि आज इन 51 औषधियों का जनमानस तक विधिवत पहुँचाने का लाइसेंस, प्रोसेस, पेटेंट पूर्ण होेने के बाद इनका लोकार्पण किया जा रहा है।
माननीय कृषि मंत्री उत्तराखण्ड श्री सुबोध उनियाल ने कहा कि आचार्य जी आयुर्वेद अपने कार्यों से देश व राष्ट्रनिर्माण में सहयोग कर रहे हैं। इतने बड़े व्यक्तित्व के साथ इतनी सादगी, सरलता बहुत कम देखने को मिलती है। आचार्य जी ने मेरी विविध विषयों पर घण्टों बात होती है जिसमें वे उत्तराखण्ड के आर्थिक विकास तथा उत्तराखण्ड वासियों के चेहरों पर मुस्कान लाने की बात ही करते हैं।
माननीय उच्च शिक्षा, चिकित्सा स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा मंत्री उत्तराखण्ड ने कहा कि विगत तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन में वैज्ञानिक, विद्वान तथा शिक्षाविदों का यहाँ जमावड़ा रहा। हम सरकारी स्तर पर आयुर्वेद के क्षेत्र में जो भी नया प्रयास करते हैं उसमें पतंजलि व आचार्य जी का सहयोग लेकर कार्य प्रारंभ किया जाता है।
माननीय वित्त मंत्री एवं शहरी विकास मंत्री उत्तराखण्ड ने आचार्य जी को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि मंत्रीमण्डल में पहली बार शामिल होने के बाद मैं सर्वप्रथम आचार्य जी से आशीर्वाद लेने पतंजलि योगपीठ पहुँचा। इनकी भावना, सोच, व्यवहार, सरलता, कार्य करने की शक्ति व शैली अद्भुत है। मानवता को निरोगी बनाने के लिए इन्होंने हजारों जड़ी-बूटियों पर अनुसंधान किया। उन्होंने कहा कि स्वामी जी व आचार्य जी के रूप में योग-आयुर्वेद के संगम ने पूरे विश्व में जनांदोलन का रूप ले लिया है, दोनों महापुरुषों को कोटिशः प्रणाम।
इस अवसर पर महामहिम राज्यपाल तथा माननीय मुख्यमंत्री के कर-कमलों से पौधा रोपित किया गया। पतंजलि अनुसंधान संस्थान की ई-साइंटिस्ट वेदप्रिया आर्या तथा माता सोमा नायर ने आचार्य जी पर लिखी पुस्तकों के विषय में विस्तार से बताया।
माननीय प्रधामंत्री महोदय ने भी संदेश के माध्यम से आचार्य जी को जन्मदिवस की शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।
कार्यक्रम में डॉ. अनुराग वार्ष्णेय के नेतृत्व में स्वैच्छिक रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया जिसमें पूज्य स्वामी जी, श्रद्धेय आचार्य जी व केबिनेट मंत्री धनसिंह रावत के साथ करीब 700 युनिट ब्लड एकत्र किया गया। इसके अतिरिक्त निःशुल्क नेत्र जाँच शिविर में करीब 630 लोगों की नेत्र जाँच कर निःशुल्क चश्मों का वितरण भी किया गया।
समारोह में संस्था के परमाध्यक्ष पूज्य स्वामी रामदेव जी महाराज के साथ महामण्डलेश्वर अर्जुन पुरी जी महाराज, बड़ा अखाड़ा के महंत दामोदर दास जी, उदासीन अखाड़ा के कमलदास जी महाराज, रूड़की विधायक प्रदीप बत्र, पूर्व विधायक सुरेश राठौर, पूर्व विधायक संजय गुप्ता के साथ-साथ पतंजलि योगपीठ से सम्बद्ध सभी ईकाइयों के अधिकारियों, कर्मचारियों, संयासी भाईयों व साध्वी बहनों ने आचार्य जी को जन्म दिवस की शुभकामनाएँ प्रेषित कीं।