ऋषिकेश 11जून –* उत्तराखंड की पावन धरती राजकीय रेशम फॉर्म रानीपोखरी ब्रांच भोगपुर में सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवम निरंकारी राजपिता जी के सानिध्य में विशाल संत समागम का दिव्य आयोजन हुआ जिसमें हज़ारों हज़ारों की संख्या में भक्तगण समिल्लित हुए और उन्होंने अपने सतगुरु के दर्शनों एवम पावन प्रवचनों से स्वयं को निहाल किया।
संत समागम में विशाल जनसमूह को संबोधित करते हुए सतगुरु माता जी ने अपने विचारो में कहा कि ये जो मानव तन हमें परमात्मा की कृपा से प्राप्त हुआ है उसकी पहचानकर वास्तविक मुनष्य बनकर जीवन जिए। यह जो परमात्मा है जिसने इस संपूर्ण सृष्टि और हम इंसानों की रचना की है उसकी जानकारी ब्रह्मज्ञान से प्राप्त करके उसे हृदय में बसाकर ही भक्तिमय जीवन का आनंद प्राप्त किया जा सकता है। इस परमात्मा के एहसास में जितना अधिक हम रहेंगे उतना ही अधिक मानवीय गुण हमारे जीवन में आते रहेंगे और हमारा मन प्रेमाभक्ति में तल्लीन रहेगा।
प्रेम के भाव को बताते हुए माता जी ने फरमाया की जब हमारे मन में केवल प्रेम का ही भाव रहेगा तो हम स्वयं ही प्रेम बन जायेंगे तथा सभी को प्रेम ही बाटेंगे। फिर कोई अच्छा कहे या बुरा हमारी वाणी से केवल प्रेम रूपी शब्द ही निकलेंगे क्योंकि जब हम भक्त हैं तो केवल कुछ पलों के भक्त नहीं अपितु हर समय के भक्त बन जाते हैं। जब हर कार्य इस परमात्मा के एहसास में किया जाए फिर चाहे अपने आसपास के दोस्तों मित्रों के घर परिवार के अंदर भी हम रोजाना जिंदगी के ही कुछ पहलू क्यों नहीं बिता रहे हो हमारे आचरण में जब प्यार है, मन में प्यार है तो वह कार्य भी सेवा बन जाता है ।
जब इस निराकार के दर्शन हो जाते है तो फिर जीवन कैसा भी हो, कोई भी स्थिति हो एक आनंद की अवस्था में ही हमारा जीवन कट जाता है।
माया के प्रभाव का जिक्र करते हुए सतगुरु ने फरमाया कि इस संसार की हर वस्तु परमात्मा के अलावा माया है इसलिए अपने आप को माया के प्रभाव में इतना भी नही डालना है कि फिर परमात्मा के लिए समय ही न बचे।
अतः किसी भी कार्य को करते समय हर पल में प्रेम और भक्ति का भाव सभी के लिए अपने मन में रखना है।
निरंकारी राजपिता जी ने अपने विचारों में कहा की रानीपोखरी भोगपुर में जो भक्तिमय वातावरण सतगुरु की कृपा से बना हुआ है और हम सब भक्ति के भाव से शराबोर निरंतर महापुरुषों के वचन गीत श्रवण कर रहे थे की किस प्रकार अपने भक्ति वाले भावों और प्रेम का जिक्र किया। जीवन को मंजिले मकसूद तक पहुंचाने का जिक्र किया की जिस कार्य को करने के लिए बड़े भागों से मानव तन प्राप्त हुआ है उस कार्य को कर लिया जाए अपनी मंजिले मकसूद को प्राप्त कर लिया जाए।
जैसे यह जगह भोगपुर है तो सद्गुरु अपने ब्रह्म ज्ञान से भोग के पार ले जाते हैं भोग से विपरीत नहीं भोग के पार क्योंकि जीवन में अपने अस्तित्व की जानकारी मुझे मिल जाती है तो जीवन से करता भाव खत्म होने लगता है।
स्थनीय मुखी महात्मा श्री जयपाल सिंह भंडारी जी और जोनल इंचार्ज हरभन सिंह ने सतगुरु माता सुदिक्षा जी महाराज एवम निरंकारी राजपिता जी का सभी श्रद्धालुगणों को अपना आशीर्वाद देने हेतु आभार व्यक्त किया। साथ ही प्रशासन और गणमान्य अतिथियों के सहयोग हेतु भी धन्यवाद प्रकट किया।