भगवती प्रसाद गोयल
ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में दो दिवसीय दंत चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया जिसमें चंडीगढ़ से आये दंत चिकित्सों ने अपनी सेवायें प्रदान की।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, डिवाइन शक्ति फाउंडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती जी, डॉ विवेक सिंह राणा, एमडीएस एंडोडॉन्टिस्ट, डॉ गुलशन, एमडीएस पीजीआई, डॉ रिद्धिमा जाबाइक, बीडीएस, ऋषिकुमार और परमार्थ निकेतन टीम में दीप प्रज्वलित कर विधिवत उद्घाटन किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने युवा चिकित्सकों को प्रोत्साहित करते हुये कहा कि मानव सेवा ही माधव सेवा है। भारतीय संस्कृति में सेवा को सर्वश्रेष्ठ माना गया है। सेवा परमो धर्मः। सेवा आत्मोद्धारक है, इससे जीवन में त्याग और समर्पण की भावना विकसित होती हैं। सेवा के माध्यम से ही सद्भावना और सद्व्यवहार में वृद्धि होती है। सेवा से आत्मसंतुष्टि और आत्म शान्ति मिलती है।
स्वामी जी ने कहा कि मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य का एक अनिवार्य पहलू है दांतोें की स्वच्छता। बेहतर ओरल हाइजिन से आत्मविश्वास को बनाये रखा जा सकता है। हमारा मुंह हमारे समग्र स्वास्थ्य के बारे में बहुत कुछ कहता है। ओरल हाइजिन उत्तम स्वास्थ्य की एक यात्रा है इसलिये स्वच्छता की सकारात्मक आदतों को अपनाना और उनका पालन करना अत्यंत आवश्यक है। स्वस्थ रहने के लिये संतुलित आहार अत्यंत आवश्यक है क्योंकि हम जो भी खाते-पीते हैं, उसका असर हमारे दांतों के स्वास्थ्य सहित सम्पूर्ण स्वास्थ्य पर पड़ता है।
स्वामी जी ने बताया कि हमें अपने भोजन में मोटे अनाज, फाइबर युक्त खाद्य पदार्थ, जैसे बीन्स, साग, साबुत अनाज और दही और दूध आदि का नियमित सेवन करना चाहिये।
डॉ विवेक सिंह राणा, एमडीएस एंडोडॉन्टिस्ट ने बताया कि दिन में दो बार उचित टूथब्रश करने और दैनिक फ्लॉसिंग के साथ, एक स्वस्थ मुस्कान को बनाए रखा जा सकता है। दांतों की स्वच्छता के लिये आहार का समायोजन भी अत्यंत आवश्यक है। शराब और तम्बाकू का उपयोग न करना या सीमित करना दांतों के स्वास्थ्य के लिये अत्यंत आवश्यक है। बेहतर ओरल हाइजिन के माध्यम से स्वस्थ दांत सुनिश्चित करने से समग्र स्वास्थ्य लाभ प्राप्त होता है। दांतों की सड़न और मसूड़ों की बीमारी जैसी दंत समस्याएं न केवल दांतों को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि हृदय रोग, स्ट्रोक, गठिया और मधुमेह जैसी गंभीर, बीमारियों का भी कारण बनती है इसलिये दांतों की स्वच्छता पर विशेष ध्यान रखना होगा। कैविटी, मसूड़ों की बीमारी और अन्य समस्याएं दांतों के नुकसान का कारण बन सकती हैं, जो भोजन के काटने, चबाने और खाने की क्षमता को प्रभावित करती हैं।
डॉ गुलशन, एमडीएस पीजीआई ने बताया कि दंत चिकित्सा शिविर के माध्यम से दांतों और मसूड़ों की बेहतर देखभाल करने के तरीकों को बताया। दिन में दो बार अच्छे से ब्रश करें क्योंकि दिन में दो बार नियमित और पूरी तरह से टूथब्रश करना दंत स्वच्छता की आधारशिला है। हर सुबह और हर रात, अपने दांतों को ब्रश करने में लगभग दो मिनट लगाये।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने स्व स्वच्छता के साथ पृथ्वी, जल स्रोतों की स्वच्छता बनाये रखने का संकल्प कराया।