नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है …

अन्य उत्तराखंड कुमांऊँ समाचार गढ़वाल समाचार देश धर्म

सिंहासनगता नित्यं पद्माश्रितकरद्वया ।
शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी ।।
पांचवें नवरात्रि को स्कंदमाता रुप की पूजा होती है । स्कंदमाता की चार भुजाएं हैं । माता अपने दो हाथों में कमल पुष्प धारण किए हुए है और एक हाथ से कुमार कार्तिकेय को गोद लिए हुए हैं ।
देवी स्कंदमाता का वाहन सिंह है । यह देवी दुर्गा का ममतामयी रूप है । जो भक्त मां के इस स्वरूप का ध्यान करता है उस पर मां ममता की वर्षा करती हैं और हर संकट एवं दुःख से भक्त को मुक्त कर देती है ।
संतान सुख की इच्छा से जो व्यक्ति मां स्कंदमाता की आराधना करना चाहते हैं उन्हें नवरात्र की पांचवी तिथि को लाल वस्त्र में सुहाग चिन्ह सिंदूर, लाल चूड़ी, महावर, नेल पेंट, लाल बिन्दी तथा सेब और लाल फूल एवं चावल बांधकर मां की गोद भरनी चाहिए ।
शास्त्रों में स्कंद, कुमार कार्तिकेय को कहा गया है । कुमार कार्तिकेय की माता देवी पार्वती हैं । एक बार इन्द्र ने कार्तिकेय का उपहास उड़ाना शुरु किया और बताया कि आप भगवान शिव और माता पार्वती की संतान नहीं हैं ।
इससे कुमारा कार्तिकेय बहुत दुःखी हुए। माता ने कार्तिकेय का दुःख समझ लिया और सिंह पर सवार होकर प्रकट हो गई। मां ने अपनी गोद में कार्तिकेय को उठाकर दुलार किया और इन्द्र पर कुपित हुई ।
इन्द्र भय से कांपने लगे और माता से क्षमा याचना करने लगे। इसके बाद माता ने इन्द्र को माफ कर दिया। इसके बाद देवताओं ने कुमार कार्तिकेय की माता के रुप में देवी पार्वती की पूजा की। देवी पार्वती की लीलाओं में यह पांचवी लीला है इसलिए नवरात्र के पांचवें दिन देवी स्कंदमाता की पूजा होती है ।
स्कंदमाता को प्रसन्न करने के लिए स्कंद कुमार को खुश करना जरूरी है क्योंकि जबतक संतान खुश नहीं होगा मां खुश नहीं हो सकती है। मां को खुश करने के लिए पंचवी तिथि को पांच वर्ष की पांच कन्याओं एवं पांच बालकों को खीर एवं मिठाई खिलाएं। भोजन के पश्चात कन्याओं को लाल चुनरी एवं 5 रुपये दें तथा बालकों को एक सेब एवं 5 रुपये दें ।
वाणी दोष से भी मुक्ति दिलाती है स्कंदमाता
कहते हैं कि गला एवं वाणी क्षेत्र पर स्कंदमाता का प्रभाव होता है । इसलिए जिन्हें गले में किसी प्रकार की तकलीफ अथवा वाणी दोष हैं उन्हें गंगाजल में पांच लवंग मिलाकर स्कंदमाता का आचमन कराना चाहिए और इसे प्रसाद स्वरूप पीना चाहिए। यह उपाय उनके लिए भी लाभकारी है जो गायन, एंकरिंग अथवा अन्य वाणी से संबंधित पेशे से जुड़े हुए हैं ।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *