देहरादून। दुनिया की अग्रणी उपभोक्ता स्वास्थ्य और स्वच्छता कंपनी, रेकिट ने पार्टनर प्लान इंडिया के साथ मिलकर अपने डेटॉल क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल प्रोजेक्ट के लिए ओहो हिल यात्रा तीसरे संस्करण के लिए भागीदारी की है। इस साल तीसरे संस्करण की थीम ‘केदारनाथ से मानसखंड एक नंबर उत्तराखंड’ है। उत्तराखंड के माननीय मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की उपस्थिति में देहरादून में इसके ग्रैंड फिनाले के साथ कार्यक्रम का समापन हुआ। एक महीने तक जमीनी स्तर पर आयोजित इस पहल की मेजबानी आरजे काव्या ने की, और इसने 25,000 से ज्यादा छात्रों और 43 स्कूलों को कवर किया। इस पहल ने उत्तराखंड में 13 जिलों में छात्रों और समुदाय को जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर शिक्षित और जागरूक किया। 2025 तक उत्तराखंड के 100 प्रतिशत जिलों को कवर करने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करने के लिए, डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया प्रत्येक जिले में एक क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल विकसित करेगा, जो राज्य के जलवायु संरक्षण और अनूकूलन प्रयासों को मजबूत बनाने और एसडीजी के लक्ष्यों को हासिल करने में योगदान देने पर केंद्रित होंगे।
देहरादून में सीएम कैम्प ऑफिस में आयोजित, ग्रैंड फिनाले में विशेष अतिथि के रूप में, श्री रवि भटनागर, डायरेक्टर, एक्सटर्नल अफेयर्स और पार्टनरशिप, एसओए, रेकिट और आरजे काव्या, सीईओ, ओहो रेडियो भी उपस्थित थे। कार्यक्रम के दौरान, क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल के छात्रों ने सांस्कृतिक प्रस्तुति दी और अपने स्कूलों में लागू अपशिष्ट प्रबंधन, ऊर्जा बचत और सौर पैनल रेट्रोफिटिंग के मॉडल प्रदर्शित किए। कार्यक्रम में डेटॉल क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल प्रस्तावना को भी पेश किया गया, जो बच्चों को एक हरित और स्वस्थ भविष्य के लिए पर्यावरण अनुकूल कार्रवाई के माध्यम से पर्यावरण सरंक्षण की प्रतिज्ञा लेने के लिए प्रोत्साहित करती है।
ग्रैंड फिनाले ईवेंट के बारे में बात करते हुए, कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री, उत्तराखंड, ने कहा, “जलवायु परिवर्तन जैसी गंभीर समस्या को लेकर उत्तराखंड में बच्चों के बीच जागरुकता बढ़ाने के लिए जो अनूठा अभियान शुरू किया गया है, उसके लिए मैं डेटॉल बनेगा स्वस्थ इंडिया और ओएचओ रेडियो को बधाई देता हूं। डेटॉल क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल प्रोजेक्ट की ओर से पेश किए गए ओएचओ हिल यात्रा सीजन 3 कैम्पेन, जिसकी थीम- ‘केदारखंड से मानसखंड एक नंबर उत्तराखंड’ थी, इस खास मुहिम के साथ राज्य के 13 जिलों के बच्चों और समुदायों को शामिल किया गया। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की सोच- मिशन लाइफ के अनुरूप, यह प्रयास वास्तव में बहुत ही उल्लेखनीय है और लोगों के बीच एक खास स्थान रखता है। यह कार्यक्रम रोजमर्रा के जीवन में अपनी आदतों में बदलाव लाने के लिए बच्चों को प्रेरित करता है।”
ग्लोबल क्लाइमेट रिस्क इंडेक्स 2021 के मुताबिक, भारत जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के प्रति सातवां सबसे संवेदनशील देश है। ग्लेशियरों के पिघलने, बढ़ता जनसख्ंया दबाव, भूकंप गतिविधि और प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन जैसे भू-वैज्ञानिक कारकों की वजह से, उत्तराखंड राज्य जलवायु परिवर्तन के प्रति अत्यधिक संवेदनशील है। भारत सरकार के मिशन लाइफ पाठ्यक्रम के अनुरूप, रेकिट का लक्ष्य डेटॉल क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल प्रोजेक्ट के साथ उत्तराखंड राज्य में स्कूल और समाज को जलवायु के प्रति संवेदनशील बनाने के लिए पर्यावरण के प्रति जागरूक बच्चों का एक कैडर बनाना है। इस प्रोजेक्ट के माध्यम से, उत्तराखंड के चार धामों के चार स्कूलों को सौर पैनल, ऊर्जा दक्ष लाइट और पंखे, कम प्रवाह वाले पानी के फिक्स्चर, अपशिष्ट प्रबंधन के साथ नया रूप प्रदान किया गया है। निम्नलिखित स्कूलों को कवर किया गया है – शासकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, दमता, उत्तरकाशी (यमुनोत्री), शासकीय उच्च विद्यालय, अठाली, उत्तरकाशी (गंगोत्री), शासकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, रतूरा, रूद्रप्रयाग (केदारनाथ) और शासकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय, पाखी, चमोली (बद्रीनाथ)। स्कूलों के कायाकल्प के प्रभाव से पानी की बर्बादी में 65 प्रतिशत की कमी और बिजली यूनिट शुल्क में 64.5 प्रतिशत की कमी आई है।मिशन लाइफ के विषय पर केंद्रित दीवारों पर भित्ति चित्रों का प्रदर्शन छात्रों के बीच जागरूकता बढ़ाने के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में कार्य कर रहा है। पर्यावरण शिक्षा वर्कशॉप में सक्रिय रूप से शामिल होकर, परियोजना ने न केवल जलवायु कार्रवाई पर सरकार के प्रयासों में योगदान दिया है, बल्कि नागरिकों के बीच पर्यावरण जागरूकता को बढ़ावा देने के राष्ट्रीय लक्ष्य को हासिल करने में भी मदद की है। जलवायु-अनुकूल हस्तक्षेपों के माध्यम से बच्चों में पर्यावरण के प्रति जिम्मेदारी और जागरूक जीवनशैली की आदत विकसित करना सरकार के कम उम्र से ही स्थायी आदतों के आह्रवान के अनुरूप हैं।गौरव जैन, एग्जीक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट, रेकिट – साउथ एशिया ने कहा, “टिकाऊ भविष्य की दिशा में एक उल्लेखनीय प्रगति में, भारत ने 2023 से 2024 तक निर्बाध रूप से बदलाव करते हुए, अपनी हरित ऊर्जा पहल में पर्याप्त वृद्धि देखी है। रेकिट में, हमारा मानना है कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटना और एक टिकाऊ और लचीला भविष्य बनाने के लिए अगली पीढ़ी को सशक्त बनाना हमारा कर्तव्य है। डेटॉल क्लाइमेट रेजिलिएंट सकूल और ओहो हिल यात्रा अभियान के साथ, हम उत्तराखंड राज्य में जमीनी स्तर पर व्यवहार में बदलाव लाने और युवा पीढ़ी को ती स्तंभों- परिसर, पाठ्यक्रम और सहयोग के माध्यम से शिक्षित करने के लिए मिलकर काम कर रहे हैं। मिशन लाइफ का झंडा लहराते हुए, हम देवभूमि उत्तराखंड में और अधिक क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल विकसित करके इस पहल का विस्तार करने के लिए तत्पर हैं, जहां प्रकृति के तत्व शुद्धरूप से विद्धमान हैं। हम उत्तराखंड सरकार को उनके अमूल्य समर्थन के लिए हार्दिक आभार व्यक्त करते हैं, क्योंकि हम एक साथ मिलकर एक हरित और अधिक लचीला उत्तराखंड के निर्माण की दिशा में काम कर रहे हैं।”
डेटॉल क्लाइमेट रेजिलिएंट प्रोजेक्ट ने ओहो हिल यात्रा के दौरान महीने भर का व्यापक अभियान चलाने के लिए ओहो रेडियो के साथ भागीदारी की, जो एक प्रतिष्ठित स्थानीय डिजिटल रेडियो है। पर्यावरणीय मुद्दों पर बच्चों की समझ को गहरा बनाने के लिए डिजाइन किया गया यह अभियान मिशन लाइफ को बढ़ावा देने और जलवायु परिवर्तन के महत्वपूर्ण मुद्दे पर दर्शकों को सूचित करने पर केंद्रित है। ग्रैंड फिनाले कार्यक्रम में खटीमा, ऋषिकेश, रूद्रप्रयाग और उत्तरकाशी के चयनित स्कूलो के छात्रों द्वारा विभिन्न सांस्कृतिक प्रस्तुतियां दी गईं और ‘केदारखंड से मानसखंड एक नंबर उत्तराखंड’ थीम पर आधारित ओहो हिल यात्रा अभियान के प्रभाव को प्रदर्शित किया गया।
रेकिट के दूरदर्शी नेतृत्व और प्लान इंडिया के कार्यान्वयन के तहत डेटॉल क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल प्रोजेक्ट, भारत सरकार द्वारा निर्धारित राष्ट्रीय हरित लक्ष्यों के साथ खुद को जोड़ने में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरा है। इस अभिनव पहल ने पर्यावरणीय स्थिरता, शिक्षा और सामुदायिक जुउ़ाव के प्रति गहरी प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है, जो हरित और अधिक लचीले भारत की व्यापक द्रष्टिकोण में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
पिछले साल अपनी स्थापना के बाद से, डेटॉल क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल प्रोजेक्ट भारत सरकार के दृष्टिकोण के अनुरूप राष्ट्रीय हरित लक्ष्यों के साथ खुद को जोड़ने में एक महत्वपूर्ण खिलाड़ी के रूप में उभरा है। इस अभिनव पहल ने न केवल पर्यावरणीय स्थिरता के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता प्रदर्शित की है, बल्कि हरित और अधिक लचीले भारत की व्यापक दृष्टिकोण में भी सक्रिय रूप से योगदान दिया है। प्रोजेक्ट के प्रयासों के परिणामस्वरूप महत्वपूर्ण उपलब्धियां हासिल हुई हैं, चार स्कूलों में सौर पैनल, ऊर्जा दक्ष लाइट-पंखे, कम प्रवाह वाले पानी के उपकरण और अपशिष्ट प्रबंधन प्रणाली स्थापित की गई है। इन प्रयासों से पानी की बर्बादी और बिजली यूनिट शुल्क पर ठोस प्रभाव पड़ा है, जो स्थायी संसाधन प्रबंधन के लिए देश के व्यापक उद्देश्यों के साथ सहजता से जुड़ गया है।
संक्षेप में, डेटॉल क्लाइमेट रेजिलिएंट स्कूल प्रोजेक्ट ने भारत के राष्ट्रीय हरित लक्ष्यों के साथ न केवल जुड़ने बल्कि सक्रिय रूप से योगदान देने के लिए अपनी पहल को जटिल रूप से बुना है। भारत अब 2023 से 2024 में प्रवेश कर चुका है, रास्ता साफ है – एक हरित, अधिक टिकाऊ भविष्य की ओर बढ़ना। पर्यावरणीय जिम्मेदारी के साथ आर्थिक विकास को संरेखित करने की राष्ट्र की प्रतिबद्धता के अनुरूप वित्तीय आवंटन, पहल और सहयोग, एक लचीलेे और पर्यावरणीय अनुकुल भविष्य की दिशा में रास्ता बनाता है।