पिथौरागढ़। उत्तराखंड का पिथौरागढ़ और बागेश्वर जिला सोमवार को भूकंप के झटके से डोल गया। भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.7 बताई जा रही है। यह भूकंप पिथौरागढ़ जिले के नाचनी क्षेत्र में और बागेश्वर में आज दोपहर को महसूस किया गया। वहीं भूकंप का झटका हल्का होने की वजह से अन्य इलाकों में इसे महसूस नहीं किया गया। भूकंप का केंद्र मुनस्यारी में बताया जा रहा है और इसकी गहराई 10 किमी बताई जा रही है। विगत 19 फरवरी को भी इन दोनों जिलों में भूकंप के झटके महसूस किए गए थे। रिक्टर पैमाने पर भूकंप की तीव्रता चार मापी गई थी। इसका केंद्र पिथौरागढ़ जिले के डीडीहाट में आठ किमी की गहराई में था। पिथौरागढ़ के मुनस्यारी, मदकोट, बंगापानी और नाचनी क्षेत्र में तीव्र झटके महसूस किए गए थे। नाचनी में भूकंप महसूस होते ही लोग घरों से बाहर निकल आए थे। भूकंप के समय स्लेट वाले कच्चे घरों की छतों और दीवारों से मिट्टी गिरती देखी गई थी। पांखू, डीडीहाट, धारचूला में भी भूकंप महसूस किया गया था। प्रशासन के अनुसार पिथौरागढ़ जिला मुख्यालय में भूकंप महसूस नहीं किया गया था। बागेश्वर में भी जिला मुख्यालय और कपकोट में भूकंप महसूस किया गया था। भूकंप से किसी प्रकार के जानमाल के नुकसान की सूचना नहीं थी।
भूकम्प पृथ्वी की सतह के हिलने को कहते हैं। यह पृथ्वी के स्थलमण्डल में ऊर्जा के अचानक मुक्त हो जाने के कारण उत्पन्न होने वाली भूकम्पीय तरंगों की वजह से होता है। भूकम्प बहुत हिंसात्मक हो सकते हैं और कुछ ही क्षणों में लोगों को गिराकर चोट पहुँचाने से लेकर पूरे नगर को ध्वस्त कर सकने की इसमें क्षमता होती है। भूकंप का मापन भूकम्पमापी यंत्र से किया जाता है, जिसे सीस्मोग्राफ कहा जाता है। एक भूकंप का आघूर्ण परिमाण मापक्रम पारंपरिक रूप से नापा जाता है, या सम्बंधित और अप्रचलित रिक्टर परिमाण लिया जाता है। ३ या उस से कम रिक्टर परिमाण की तीव्रता का भूकंप अक्सर अगोचर होता है, जबकि ७ रिक्टर की तीव्रता का भूकंप बड़े क्षेत्रों में गंभीर क्षति का कारण होता है। झटकों की तीव्रता का मापन विकसित मरकैली पैमाने पर किया जाता है। पृथ्वी की सतह पर, भूकंप अपने आप को, भूमि को हिलाकर या विस्थापित कर के प्रकट करता है। जब एक बड़ा भूकंप उपरिकेंद्र अपतटीय स्थति में होता है, यह समुद्र के किनारे पर पर्याप्त मात्रा में विस्थापन का कारण बनता है, जो सूनामी का कारण है। भूकंप के झटके कभी-कभी भूस्खलन और ज्वालामुखी गतिविधियों को भी पैदा कर सकते हैं। सर्वाधिक सामान्य अर्थ में, किसी भी सीस्मिक घटना का वर्णन करने के लिए भूकंप शब्द का प्रयोग किया जाता है, एक प्राकृतिक घटना) या मनुष्यों के कारण हुई कोई घटना -जो सीस्मिक तरंगों) को उत्पन्न करती है। अक्सर भूकंप भूगर्भीय दोषों के कारण आते हैं, भारी मात्रा में गैस प्रवास, पृथ्वी के भीतर मुख्यतः गहरी मीथेन, ज्वालामुखी, भूस्खलन और नाभिकीय परिक्षण ऐसे मुख्य दोष हैं। भूकंप के उत्पन्न होने का प्रारंभिक बिन्दु केन्द्र या हाईपो सेंटर कहलाता है। शब्द उपरिकेंद्र का अर्थ है, भूमि के स्तर पर ठीक इसके ऊपर का बिन्दु। बहुत से भूकंप प्लेट सीमा से दूर उत्पन्न होते हैं और विरूपण के व्यापक क्षेत्र में विकसित तनाव से सम्बंधित होते हैं, यह विरूपण दोष क्षेत्र में प्रमुख अनियमितताओं के कारण होते हैं।