संदीप गोयल/ एस के एम न्यूज़ सर्विस
देहरादून। इन दिनों उत्तराखण्ड की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस में प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर घमासान मचा हुआ है। वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह को नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी सौंपने को लेकर पार्टी पर दबाव बनाने में हरीश रावत खेमा महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर रहा है तो वहीं प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह ने पद से हटाने और नेता प्रतिपक्ष की नयी जिम्मेदारी सौंपने पर हामि तो भरी है लेकिन शर्त रख दी है कि प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर वह अपने पंसद की नियुक्ति चाहते हैं। उनकी पहली पसंद भुवन कापडी को बताया जा रहा है तो वहीं दूसरी ओर हरीश रावत भी कह चुके हैं कि प्रदेश अध्यक्ष तो उनकी पंसद का ही होगा। हरीश रावत और प्रीतम सिंह के बीच अब शह-मात का खेल शुरू हो चुका है। दोनो ही दिग्गज नेता एक दूसरे को पटकी देने में लगे हुए हैं। वैसे देखा जाए तो चंद माह बाद ही उत्तराखण्ड में विधानसभा चुनाव होने हैं ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष के ऊपर विधानसभा सीटे जीतने की सारी जिम्मेदारी होती है। बताया तो यह भी जा रहा है कि हरीश रावत को वर्ष 2022 में होने वाले चुनाव की कमान सौंपी जाएगी। उन्हें चुनाव संचालन समिति की जिम्मेदारी दी जा रही है। कांग्रेस हाईकमान फिलहाल ऐसी स्थिति में नही है कि वह किसी नेता को नाखुश कर चुनाव मैदान में उतरे। हाईकमान ऐसे दोराहे पर खडा हो गया है कि उसे हरीश रावत को भी खुश करना है और प्रीतम सिंह को भी नाराज नहीं कर सकता। यदि दो में से एक भी नेता नाराज हुआ तो चुनावी वैतर्णी को पार करना टेढी खीर होगा। हरीश रावत की नाराजगी हाईकमान पहले भी देख चुका है। उनकी नाराजगी के कारण ही विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हाथ धोना पडा था ऐसे में यह कहा जा सकता है कि वर्ष 2022 में हरीश रावत की नाराजगी कांग्रेस को भारी पड सकती है। फिलहाल कांग्रेस हाईकमान यह भी मन बना रहा है कि ठाकुर, ब्राहमण के बीच से कोई रास्ता निकालना है तो वह सबसे अच्छा यही होगा कि बनिया समाज को खुश करते हुए प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर बनिया समाज के व्यक्ति को बैठा दिया जाए। इसका एक बडा कारण यह भी है कि उत्तराखण्ड राज्य में बनिया समाज कुमाऊं व गढवाल दोनो में निवास करता है और इस समाज का अच्छा खासा वोट बैंक भी है। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि उत्तराखण्ड प्रदेश कांग्रेस कमेटी मेंे बनिया समाज से पी.के. अग्रवाल है। जो कट्टर कांग्रेसी होने के साथ-साथ समाज पर अच्छी पकड रखते हैं और उनका कथन समाज के व्यक्ति को पत्थर पर लकीर रखता है। पी.के. अग्रवाल की पकड जितनी गढवाल में है उतनी कुमाऊं में भी। शायद ही कांग्रेस में कोई ऐसा चेहरा हो जो पी.के. अग्रवाल से अनजान हो। इसलिए सबसे अच्छा यही होगा कि कांग्रेस हाईकमान पी.के. अग्रवाल को प्रदेश अध्यक्ष की कुर्सी पर आसीन कर गढवाल, कुमाऊं के झगडे को समाप्त कर दे और चुनावी वैतर्णी को आसानी से पार कर दे।