देहरादून। कोरोना की संभावित तीसरी लहर को बच्चों के लिए ज्यादा खतरनाक बताया जा रहा है। इसे लेकर भय की स्थिति बनी हुई है, लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने साफ किया है कि ज्यादातर बच्चों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। अगर पूर्ण रूप से स्वस्थ बच्चों को संक्रमण होता भी है तो उनकी हल्की तबीयत खराब होती है और वो बिना अस्पताल गए जल्दी ठीक हो जाते हैं। एक आकलन के मुताबिक पांच फीसद बच्चों को ही अस्पताल में भर्ती कराने की स्थिति बनेगी। तीन फीसद बच्चों को आक्सीजन बेड, जबकि दो फीसद बच्चों को आइसीयू की जरूरत पड़ सकती है। कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के बीच स्वास्थ्य विभाग ने एक रिपोर्ट तैयार की है। जिसके अनुसार राज्य में महज दस फीसद बच्चों को ही कोरोना संक्रमण के बाद अस्पताल जाने की नौबत आएगी। इसमें से पांच फीसद बच्चे गंभीर संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। जिन्हें आइसीयू और आक्सीजन सपोर्ट की जरूरत होगी। जबकि पांच फीसद संक्रमण के बाद अस्पताल पहुंचेंगे, लेकिन उनकी स्थिति ज्यादा नहीं बिगड़ेगी। स्वास्थ्य महानिदेशक डा. तृप्ति बहुगुणा ने कोरोना की तीसरी लहर के दौरान संक्रमण की स्थिति और तैयारियों की समीक्षा की। इस दौरान अधिकारियों ने उन्हें यह रिपोर्ट दी है। स्टेट टास्क फोर्स की सदस्य सचिव एवं एनएचएम निदेशक डा. सरोज नैथानी ने बताया कि राज्य में कोरोना की तीसरी लहर को देखते हुए कई कदम उठाए गए हैं। उन्होंने बताया कि निजी अस्पतालों को एंटीजन जांच की इजाजत दी गई है। बच्चों के इलाज वाले अस्पतालों को चिह्नित किया गया है। 108 सेवा की 20 फीसद, जबकि लाइफ सपोर्ट सिस्टम वाली 80 फीसद एंबुलेंस बच्चों के लिए आरक्षित करने का निर्णय लिया गया है। राज्य के आपदा प्रभावित जनपदों में 87 ऐसे आपदा प्रभावित क्षेत्रों को चिह्नित किया गया है, जहां अक्सर भूस्खलन या सड़क मार्ग के टूटने के कारण आवागमन बाधित रहता है। इन स्थानों पर ट्रांस शिपमेंट के माध्यम से संक्रमित मरीज को स्वास्थ्य इकाई तक पहुंचाने की योजना पर कार्य किया जाएगा।