फरीदाबाद। राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन एच तीन फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रास, सैंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड और गाइडस ने प्राचार्य व ब्रिगेड प्रभारी रविन्द्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में कारगिल विजय दिवस की बाइसवीं वर्षगांठ पर भारतीय सेना के जवानों को बारंबार नमन करते हुए और शहीद हुए पांच सौ सत्ताइस जवानों को श्रद्धांजलि देते हुए विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए। जे आर सी और एस जे ए बी प्रभारी प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचंदा ने बताया कि भारतीय सेना द्वारा कारगिल युद्ध की पराक्रम गाथा अमिट रहेगी कि किस प्रकार से पाकिस्तान द्वारा धोखे से किए गए वार और ऊचाई पर होने बाद भी भारतीय सेना के बहादुर जवानों ने अपनी जान पर खेल कर पाकिस्तानी सेना को धूल चटाते हुए भागने पर मजबूर कर दिया। भारतीय सेना के जांबाज शूरवीर जवानों और भारतीय वायसेना ने अद्वितीय तालमेल से पाकिस्तान को इस युद्ध में भारी नुकसान उठाना पड़ा। जूनियर रेड क्रॉस काउंसलर व ब्रिगेड अधिकारी रविन्द्र कुमार मनचंदा ने बताया कि कारगिल विजय दिवस की बाईसवीं वर्षगांठ पर शहीद जवानों के शौर्य का जितना वर्णन किया जाए उतना कम है। उन्होंने इस अवसर पर भारतीय सशस्त्र सेनाओं के पराक्रम के बारे में कहा कि कारगिल युद्ध में भारतीय सैनिकों ने अदम्य साहस का परिचय दिया था। कारगिल युद्ध में विजय भारत के संकल्पों की विजय थी, भारत की शक्ति और धैर्य की विजय थी, भारत की गरिमा और अनुशासन की विजय थी। यह विजय हर भारतीय की आशाओं, उम्मीदों और कर्तव्यपरायणता की जीत थी। मनचन्दा ने कहा कि युद्ध पूरे राष्ट्र द्वारा लड़े जाते हैं। जो लोग देश के लिए जीने या मरने एवं न्योछावर होने का सोचते हैं, वे अमर हैं, अमर थे और अमर रहेंगे। सैनिक न केवल वर्तमान बल्कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए और सुरक्षित भविष्य के लिए अपने जीवन को न्योछावर कर देते हैं। सैनिक जीवन और मृत्यु के बीच अंतर नहीं करते हैं। उनके लिए कर्तव्य सर्वोच्च है। हर भारतीय को अपने बहादुर सैनिकों पर गर्व करने का अधिकार है। रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने देश पर सर्वस्व न्योछावर करने वाले जवानों के जीवन से सीख लेने के लिए प्रेरित किया। प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा और एक्टिविटीज कॉर्डिनेटर गणित प्राध्यापिका डॉक्टर जसनीत कौर ने छात्राओं नेहा, संध्या और ताबिंदा द्वारा कारगिल युद्ध पर बनाए गए पोस्टर्स की सराहना की। उन्होंने भारत माता के शूरवीर सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान को नमन करते हुए और श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि भारतमाता अपने शूरवीरों की सदैव ऋणी रहेगी।