देहरादून। मध्यप्रदेश का अमरकंटक तीर्थ मैकल पर्वतश्रेणी की सबसे ऊंची श्रृंखला है और जो नर्मदा नदी का उद्गम है ऐसी धार्मिक और प्राकृतिक सौन्दर्य की संगम स्थली पर मोरारीबापू के श्रीमुख से पिछले 8 दिनों से रामकथा का गान हो रहा है। आज आठवें दिन बापू ने जापान की राजधानी टोक्यो में खेले जा रहे ओलंपिक गेम्स के प्रत्येक प्रतियोगी के प्रति बापू ने हृदय से आशीर्वाद देते हुए अपनी प्रसन्नता व्यक्त की।आज सुबह बापू ने सूचना दी थी कि फूलछाब के एडिटर कौशिकभाई मेहता से जानकारी प्राप्त की जाए कि ओलंपिक में भारत की ओर से कुल कितने खिलाड़ी गए हैं। 127 खिलाड़ी के साथ अन्य सभी को मिलाकर कुल 228 की जानकारी मिली। बापू ने कहा कि हार-जीत गौण है, अपने अपने देश का प्रतिनिधित्व करता हुआ प्रत्येक खिलाड़ी
की स्वस्थ प्रतियोगिता की भावना विश्व बंधुत्व की भावना को बढ़ाता है।आज पूरा देश आनंद ले रहा है। हमारे आदरणीय यशस्वी प्रधानमंत्री जी ने समय-समय पर इन खिलाड़ियों से बात करके उनका हौसला बढ़ाया,यह सराहनीय है। मेरे मन में भी 2 दिन से यह प्रक्रिया चल रही थी। हम तो यह भेद नहीं कर सकते कि यह जीते और यह हारे। और मैं यह भी भेद नहीं कर सकता कि जो साथ में गए हैं उसको छोड़ दूं। ठाकुर जी की प्रेरणा से मन में इच्छा थी कि मैं इन सब को व्यासपीठ की प्रसादी के रूप में, चित्रकूट धाम तालगाजरड़ा के हनुमान जी की प्रसादी के रूप में और मेरे सभी श्रोताओं की ओर से प्रसादी के रूप में कुछ राशि भेजना चाहते हूँ।अमाउंट का कोई महत्व नहीं है। अपने अपने प्रांत के खिलाड़ियों को लोग करोड़ों रुपए देते हैं, मैं स्वागत करता हूँ। मैं बहुत विनम्रता से अमरकंटक की व्यासपीठ से ओलंपिक में गए 228 को, प्रत्येक को, 25000/- की राशि (कुल 57 लाख) हनुमान जी की प्रसादी के रूप में, हमारी स्वयं की प्रसन्नता के लिए देना चाहता हूँ। एकाध सप्ताह में सभी के अकाउंट नंबर प्राप्त करके उनमें यह राशि जमा की जाएगी। बापू ने आशीर्वचन कहते हुए कहा कि, खुश रहो, खुश रहो ! जो जीते हो और जो नहीं जीते हो वह भी ओलंपिक तक पहुंचे हैं वह अपने आप एक गौरव की बात है। और उनको गाइड करने के लिए उनके साथ जो जो गए उन सबको व्यासपीठ बहुत बहुत बधाई देती है। हम केवल तुलसी पत्र के रूप में इस रूप में आपके पास पहुंचना चाहेंगे।