महिला समानता दिवस – शिक्षित और सशक्त महिला से देश की समृद्धि

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एन आई टी तीन फरीदाबाद स्थित राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता महिला समानता दिवस पर विशेष कार्यक्रम आयोजित किया। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि महिला समानता दिवस को मनाने का विशेष उद्देश्‍य महिला सशक्तिकरण को बढ़ाना एवम उन्‍हें बढ़ावा देना है। साथ ही दूसरी ओर बढ़ रहे अत्‍याचार, भेदभाव, महिलाओं के प्रति यौन अपराध, बलात्‍कार, एसिड अटैक, जैसे कई विषयों पर लोगों को जागरूक करना है। जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने बताया कि यदि देखा जाएं तो महिलाएं आज इन सभी चीजों से लड़कर लगातार आगे बढ़ रही है।कानून की नजर में भले ही महिला और पुरुष को बराबर का अधिकार मिला हुआ हो। लेकिन समाज में अभी भी महिलाओं को लेकर लोगों के मन में दोहरी मानसिकता होती है। उन्हें आज भी पुरूष के बराबर का अधिकार नहीं मिला है। महिला समानता के अधिकार की बात के लिए सबसे पहले अमेरिका की महिलाएं मुखर हुईं। महिलाओं को अमेरिका में वोट देने का भी अधिकार नही थाा। वर्षों तक चली लड़ाई के बाद अमेरिका में महिलाओं को अगस्त 1920 में वोटिंग का अधिकार मिला। इस दिन को याद करते हुए महिला समानता दिवस मनाए जाने की शुरुआत हुई। रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि भारत में आज़ादी के इतने वर्ष बीत जाने के बाद भी महिलाओं की स्थिति गौर करने लायक है। यहाँ वे सभी महिलाएं नज़र आती हैं, जो सभी प्रकार के भेदभाव के बावजूद प्रत्येक क्षेत्र में एक मुकाम हासिल कर चुकी हैं और सभी उन पर गर्व भी महसूस करते हैं। परन्तु इस कतार में उन सभी महिलाओं को भी शामिल करने की ज़रूरत है, जो हर दिन अपने घर में और समाज में महिला होने के कारण असमानता को झेलने के लिए विवश है। चाहे वह घर में बेटी, पत्नी, माँ या बहन होने के नाते हो या समाज में एक लड़की होने के नाते हो। प्रतिदिन समाचार पत्रों में लड़कियों के साथ होने वाली छेड़छाड़ और बलात्कार जैसी खबरों को पढ़ा जा सकता है, परन्तु इन सभी के बीच वे महिलाएं जो अपने ही घर में सिर्फ इसीलिए प्रताड़ित हो रही हैं, क्योंकि वह एक औरत है। जहां देश में प्रधानमंत्री के पद पर इंदिरा गांधी और राष्ट्रपति के पद पर प्रतिभा देवी सिंह पाटिल रह चुकी हैं। कॉरपोरेट सेक्टर, बैंकिंग सेक्टर जैसे क्षेत्रों में इंदिरा नूई और चंदा कोचर जैसी महिलाओं ने अपना लोहा मनवाया है। इन कुछ उपलब्धियों के बाद भी देखें तो आज भी महिलाओं की कामयाबी आधी-अधूरी समानता के कारण कम ही है। साक्षरता दर में महिलाएं आज भी पुरुषों से पीछे हैं। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार महिलाओं की साक्षरता दर में 12 प्रतिशत की वृद्धि जरूर हुई है। आज प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा तथा कॉर्डिनेटर गणित प्राध्यापिका डॉक्टर जसनीत कौर ने कशिश, तबिंदा, नेहा, सृष्टि और सुमन को महिला समानता दिवस पर सुंदर अभिव्यक्ति के लिए सम्मानित किया।

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