फरीदाबाद। विश्व ट्रॉमा दिवस पर राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन एच तीन फरीदाबाद की सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड, जूनियर रेडक्रॉस और गाइड्स ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में ऑनलाइन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया। बालिकाओं को ट्रॉमा क्या है, लक्षण, कारण और बचाव एवम प्राथमिक उपचार द्वारा सहायता के उपाय बताए गए। ब्रिगेड व जूनियर रेडक्रॉस प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने बताया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार ट्रॉमा विश्व भर में मृत्यु और विकलांगता का सबसे बड़ा और प्रमुख कारण है। ट्रॉमा से बचने के लिए आप शराब और धूम्रपान के सेवन से बचें, जितनी शीघ्र हो सकें, अपनी दिनचर्या बनाएं, कम से कम आधा घंटा डीप ब्रीदिंग, योग और मेडिटेशन करें परिवार के सदस्यों, मित्रों से इस बारे में बात करें, परिवार और मित्रों के साथ अधिक से अधिक वार्ता शेयर करें एवम स्वयं को पॉजिटिव रखें आदि। मनचंदा ने बताया कि ट्रॉमा पीड़ित व्यक्ति का निम्न लक्षणों से आप अनुमान लगा सकते हो जैसे क्रोध, चिड़चिड़ापन अथवा मूड में बदलाव, शर्म महसूस करना, निराशा और उदासी, अकेलेपन का अहसास, चिंता और डर, नींद की कमी, चौंकना, दूसरों की तुलना में कम महसूस करना, अविश्वास, संपूर्ण विश्व में ट्रॉमा का सबसे प्रमुख कारण सड़क दुघर्टनाएं है। मनोवैज्ञानिक ट्रॉमा का कारण शारीरिक और मानसिक चोट, कोई रोग या सर्जरी हो सकता है लेकिन कई बार बिना कोई शारीरिक क्षति हुए भी लोग भावनात्मक और मनोवैज्ञानिक ट्रॉमा के शिकार हो जाते हैं। जब किसी को परिवार के किसी सदस्य से अधिक लगाव होता है और अचानक से उसका साथ छूट जाता है तो ये एक तरह से भावनात्मक ट्रॉमा होता है। यह सामान्य बीमारी नहीं है। इसके सामान्य लक्षण भी नहीं होते हैं। इस बीमारी में गहरा आघात, सामाजिक, मानसिक, शारीरिक, मनोवैज्ञानिक और भावनात्मक जैसे किसी भी रूप में हो सकती है। ट्रॉमा के अलग-अलग कारण होते हैं। शारीरिक ट्रॉमा का तात्पर्य है शरीर को कोई भी क्षति पहुंचना। यह सड़क दुर्घटना, आग, जलना, गिरना, हिंसा की घटनाएं, प्राकृतिक आपदाएं आदि से हो सकती है। इस ऑनलाइन आयोजन में प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा और प्राध्यापिका डॉक्टर जसनीत कौर ने छात्राओं तबिंदा, हर्षिता, निशा, सृष्टि मेघवाल और नेहा का ट्रॉमा के उपचार में प्राथमिक सहायता के बारे पेंटिंग बनाने के लिए प्रशंसा की।