भगवती प्रसाद गोयल
ऋषिकेश। कुमाऊंनी और पहाड़ी कलाकारों का एक दल एसटी आयोग के उपाध्याक्ष रिटायर्ड आइपीएस गणेश सिंह मर्ताेलिया के मार्गदर्शन में परमार्थ निकेतन पहुंचा। उन्होंने परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी का दर्शन कर आशीर्वाद लिया। सभी कलाकारों ने स्वामी के पावन सान्निध्य में उत्तराखंड़ की समृद्धि, शान्ति एवं समय-समय पर आने वाली आपदाओं के निवारण हेतु हवन कर माँ गंगा का पूजन किया तथा परमार्थ शिव घाट पर शिवाभिषेक के साथ विश्वाभिषेक किया। स्वामी ने सभी कलाकारों का रूद्राक्ष की माला और दक्षिणा देकर अभिनन्दन किया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती और साध्वी भगवती सरस्वती के पावन सान्निध्य में कुमाऊंनी और पहाड़ी कलाकारों ने माँ गंगा और हिमालय की वादियों को समर्पित संगीत की प्रस्तुति दी। इस अवसर पर पहाड़ी कलाकारों द्वारा बनाये गये बांस के उत्पादों का भी प्रदर्शन किया गया। स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने कुमाऊंनी और पहाड़ी कलाकारों को उनकी संगीत कला और हस्त शिल्प हेतु शुभकामनायें देते हुये कहा कि अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव परमार्थ निकेतन में 100 से अधिक देशों के योग साधक आते हैं, उस समय पहाड़ के सभी कलाकार परमार्थ निकेतन पधारंे और माँ गंगा के प्रति सभी कलाकारों का वाद्य समर्पण और दर्शन पूरे विश्व को होगा और हमारे कलाकारों के परिवार हस्त शिल्प के माध्यम से जो घरेलू सामान बनाते हैं उसकी प्रदर्शनी लगायी जाये ताकि उत्तराखंड के उत्पादों को हम लोकल से ग्लोबल बाजार तक पहुंचा सकें, इससे सबसे परिवार का नाता बनेगा और रोजगार का प्रसार होगा। स्वामी ने कहा कि आज महात्मा गांधी के संरक्षण में अखिल भारतीय ग्रामीण उद्योग संघ की स्थापना की गयी थी। गांधीवादी दृष्टिकोण स्वदेशी, स्वच्छता और सर्वाेदय पर आधारित है। स्वामी ने कहा कि हम उत्तराखंड की संस्कृति ‘परिवार, रोजगार और संस्कार’ का दर्शन पूरे विश्व को भारत की धरती से माँ गंगा के पावन तट परमार्थ निकेतन से हो रहा है। रिटायर्ड आइपीएस गणेश सिंह मर्ताेलिया ने बताया कि कलाकारों के दल में कई युवा कलाकारों ने सहभाग किया है। इस माध्यम से हम हस्तशिल्पियों को भी प्रोत्साहन दे रहे हैं। पूज्य स्वामी जी महाराज आपने हमें बहुत भरोसा और स्नेह दिया है, हम आपके आभारी हैं। इसी तरह भविष्य में भी आपका स्नेह मिलता रहे, इसके लिये आपसे निवेदन और अनुरोध है। महाराज से मेरा बहुत पुराना सम्बंध है, केदारनाथ त्रासदी में भी जो बड़े-बड़े कार्य हुये उनके पीछे भी महाराज जी का ही आशीर्वाद था और आपके पावन आशीर्वाद से हमारी चीजें आसान होती है। इसी तरह हमारे कलाकारों पर आपका स्नेह बना रहे। आपके मार्गदर्शन में हम परमार्थ निकेतन आते रहेंगे, यहां आकर आपके सान्निध्य में काम करने का अवसर हमें प्राप्त होगा इससे हमारे कलाकारों को प्रोत्साहन मिलेगा और उन्हें आजीविका भी मिलेगी व हस्तशिल्प के माध्यम से स्वरोजगार की ओर भी बढ़ने का अवसर प्राप्त होगा। हमारे कलाकारों को आगे बढ़ने के लिये आपका आशीर्वाद मील का पत्थर साबित होगा। ढ़ोल वादक लक्ष्मण सिंह पांगती ने कहा कि हम गंगा तट पर पहली बार आये हैं। परमार्थ निकेतन में आज हम कलाकारों और हमारी कला का भव्य रूप से सम्मान हुआ है। हम सालों से पहाड़ी कला का प्रदर्शन करते आ रहे हैं परन्तु आज हमारी कला को जो सम्मान मिला उससे हम सभी अभिभूत है। स्वामी चिदानन्द सरस्वती, साध्वी भगवती सरस्वती और परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों के साथ कुमाऊंनी और पहाड़ी कलाकारों ने परमार्थ निकेतन में स्थित भारत और इंडोनेशिया के सांस्कृतिक सम्बंधों की पहचान पद्मासन मन्दिर प्रांगण में अपनी संगीत कला का प्रदर्शन किया। सभी कलाकारों ने भोजन प्रसाद ग्रहण कर परमार्थ निकेतन से प्रस्थान किया। उन्होंने कहा कि आज इस दिव्य स्थान पर हमें ही नहीं बल्कि हमारी पूरी पहाड़ी संस्कृति को सम्मान मिला है। परमार्थ निकेतन से जाते हुये उनके आंखों में अश्रु थे। वे यहां से जाते हुये गदगद्, अभिभूत और कृतकृत्य अनुभव कर रहे थे।
इस अवसर पर बागेश्वर, पिथौरागढ़ और कुमांऊ से कलाकार श्री लक्ष्मण सिंह पांगती, लवराज आर्य, नवीन राय, संजय कुमार, बलवंत कुमार, चन्द्र राय, मनोज कुमार, लवराज कुमार, धामसिंह, मोहन राय, दीवान राय, बलराम, मनोज, विक्रम राय, प्रताप राम, हरिसिंह, मनोज कुमार, दीवान राम, राजेन्द्र राम, धनपाल राय, कुन्दन राय, उत्तम राम, भुपेश चन्द्र, प्रताप राम, मनोज शाही कलाकारों ने सहभाग किया।