देहरादून। आखिरकार डेढ़ साल से ज्यादा समय के बाद उत्तराखंड उच्च शिक्षा परिषद संशोधन विधेयक पर राजभवन की मुहर लग गई। इसके बाद संशोधित अधिनियम अस्तित्व में आ गया। प्रदेश में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान (रूसा) की व्यवस्था में संशोधन पिछली कांग्रेस सरकार ने किया था। उत्तरप्रदेश उच्च शिक्षा परिषद अधिनियम, 1995 में रूसा के लिए गठित परिषद में अध्यक्ष पद पर शिक्षाविद की तैनाती का प्रविधान था। इसमें संशोधन कर अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी उच्च शिक्षा मंत्री को सौंपी गई। हालांकि तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने इस संशोधन के लिए विधानसभा की मंजूरी नहीं ली थी। बाद में संबंधित अधिनियम में संशोधन के चलते वैधानिक समस्या उत्पन्न होने का अंदेशा हो गया था। इसे देखते हुए 2017 के बाद प्रदेश में बनी भाजपा सरकार ने मार्च, 2020 में इस संबंध में संशोधन विधेयक को विधानसभा से पारित कराया था। इसे मंजूरी के लिए भेजा गया था। राजभवन ने इस विधेयक पर लंबे समय तक मुहर नहीं लगाई। इस मामले में शासन के अनुरोध को भी राजभवन ने दरकिनार कर दिया था। अब नए राज्यपाल के रूप में लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह (सेनि) ने इस विधेयक को मंजूरी दी है।