देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टॉफ जनरल बिपिन रावत पंचतत्व में विलीन हो हो गए। उनके साथ उनकी अर्धांगिनी मधुलिका रावत का भी अंतिम संस्कार किया गया। दोनों का अंतिम संस्कार दिल्ली कैंट स्थित बरार स्क्वायर में पूरे सैन्य सम्मान के साथ किया गया। इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह मौजूद रहे। अंतिम संस्कार की जो रीति-रिवाज थी, उन्हें उनकी दोनों बेटियों कृतिका और तारिणी ने पूरा किया। परिवार के अन्य सदस्य भी उन्हें अंतिम विदाई देने में शामिल हुए। लगभग 800 सैन्यकर्मियों के साथ, राजनाथ सिंह, कानून मंत्री किरेन रिजिजू, भारत में फ्रांस के राजदूत इमैनुएल लेनिन और भारत में ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलिस भी भारत के पहले सीडीएस के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए अंत्येष्टि स्थल पर मौजूद रहे।जनरल रावत के गृह राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी भी मौजूद रहे। बरार स्क्वायर पर भी पूर्व सैनिकों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। जनरल रावत को 17 तोपों की सलामी दी गई। अंतिम यात्रा में उमड़े लोगों के हुजूम ने ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम’ और ‘जनरल रावत अमर रहें’ जैसे नारे लगाए। इससे पहले जनरल रावत की अंतिम यात्रा यहां उनके आधिकारिक आवास से शुरू हुई। रास्ते में हजारों लोगों ने उन्हें श्रद्धांजलि दी। अंतिम यात्रा में उमड़े लोगों के हुजूम ने ‘भारत माता की जय’, ‘वंदे मातरम’ और ‘जनरल रावत अमर रहें’ जैसे नारे लगाए। आम लोग फूलों से सजे उस वाहन के साथ दौड़ते नजर आए जिसमें जनरल रावत और उनकी पत्नी का शव रखा था। रास्ते में लोगों ने अपने वाहन रोककर भी देश के सबसे बड़े सैन्य अधिकारी को नम आंखों से विदाई दी।
