रुड़की : इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रुड़की (IIT Roorkee), द्वारा प्रोफेसर अरुण कुमार, डिपार्टमेंट ऑफ हाइड्रो रिन्यूएवेबल एनर्जी को आईआईटी रुड़की स्थित एचआरईडी सभागृह में हाइड्रो रिन्यूएवेबल एनर्जी पुरस्कार प्रदान किया गया। यह पुरस्कार ऐसे शोधकर्ता द्वारा जो कि हाइड्रो रिसोर्स एसेसमेंट, ऑप्टिमाइजेशन, इंटीग्रेशन और नई तकनीकी विकास आदि के क्षेत्र में दिए गए योगदान को मान्यता प्रदान करता है और इसका उत्सव मनाता है। प्रोफेसर अरुण कुमार वर्तमान में आईआईटी रुड़की के डिपार्टमेंट ऑफ हाइड्रो रिन्यूएवेबल एनर्जी में कार्यरत हैं, NEEPCO (नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पॉवर लिमिटेड) के चेयर प्रोफेसर हैं और इंटरनेशनल हाइड्रो पॉवर एसोसिएशन के बोर्ड मेंबर हैं। वे डिपार्टमेंट ऑफ हाइड्रो रिन्यूएवेबल एनर्जी के संस्थापक वैज्ञानिक हैं और इसके प्रमुख के रूप में 1998 से 2011 तक सेवाएं प्रदान कर चुके हैं। उनके नेतृत्व में डिपार्टमेंट ऑफ हाइड्रो रिन्यूएवेबल एनर्जी का विकास हुआ और यह स्मॉल हाइड्रो पॉवर (SHP) के क्षेत्र में श्रेष्ठता का केंद्र बना और राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिष्ठा प्राप्त की। उन्होंने IPCC (जलवायु परिवर्तन पर अंतर-सरकारी पैनल) की रिन्यूएवेबल एनर्जी की विशेष रिपोर्ट तैयार करने में योगदान कर सेवाएं प्रदान की। वे एनएचपीसी लिमिटेड के बोर्ड में स्वतंत्र निदेशक भी रहे।
पुरस्कार प्रदान करते हुए आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रोफेसर अजीत के चतुर्वेदी ने कहा, – “नदियों, झीलों और हाइड्रो पॉवर के पर्यावरण प्रबंधन में गत 40 वर्षों से दिए गए योगदान के लिए प्रोफेसर अरुण कुमार को अत्यधिक प्रशंसा प्राप्त हुई। वे सच्चे अर्थों में यह पुरस्कार प्राप्त करने के लिए हर दृष्टि से अधिकारी हैं। प्रोफेसर अरुण कुमार का यह कार्य भारत सरकार के डिकार्बोनाइजेशन के महत्वपूर्ण लक्ष्य के समानांतर है”।
हाइड्रो पॉवर की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए आईआईटी रुड़की के डिपार्टमेंट ऑफ हाइड्रो रिन्यूएवेबल एनर्जी के प्रोफेसर अरुण कुमार ने कहा, – “राष्ट्रीय स्तर पर गैर जीवाश्म ऊर्जा क्षमता को 2030 तक 500 GW करने का लक्ष्य है तथा ऊर्जा के नए संसाधनों की सहायता से 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का भी लक्ष्य निर्धारित है, क्योंकि मौसम में उतार-चढ़ाव के कारण ऊर्जा उत्पादन में भारी परिवर्तन हो सकता है। इस प्रकार हाइड्रो प्लान्ट पर आधारित संग्रहण अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इनकी सहायता से हाई वेरिएबल सूर्य और पवन ऊर्जा को एकत्र कर पॉवर सिस्टम से जोड़ा जा सकता है। हाइड्रो पॉवर से विद्युत उत्पादन के अतिरिक्त अनेक लाभ हैं, जिनको ऊर्जा के क्षेत्र में डिकार्बोनाइजेशन के लिए सहभागिता संभव है”।