देहरादून। परमपूज्य स्वामी चिदानंद सरस्वती द्वारा वर्चुअल अंतर्राष्ट्रीय योग ई-कॉन्क्लेव का उद्घाटन किया गया। दून योग पीठ देहरादून के संस्थापक आध्यात्मिक गुरु आचार्य बिपिन जोशी प्रत्यक्ष रूप से कार्यक्रम में शामिल रहे, उन्होने नियमित रूप से योग को जीवन का अंग बनाने का आह्वान किया।इस दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय योग ई-कॉन्क्लेव का आयोजन परमार्थ निकेतन, युथ न्यूज़.ऑनलाइन, इंडियन योग एसोसिएशन और आई क्यू ऐसी ऑफ़ दिल्ली कॉलेज ऑफ़ आर्ट्स एंड कॉमर्स द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है। सहयोगी संस्था मोरारजी देसाई नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ योग, नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ़ इवेंट मैनेजमेंट और श्री मंगलम कॉलेज ऑफ़ लॉ एंड मैनेजमेंट रहे
कार्यक्रम का सजीव प्रसारण इस लिंक पर देखें : https://www.tinyurl.com
अतिथियों का स्वागत करते हुए कार्यक्रम के संयोजक हिमांशु पाण्डेय ने कहा कि अगले सत्रों में भी विश्व भर से योग और आध्यात्मिक जीवन के प्रतिष्ठित आचार्यों द्वारा व्याख्यान दिए जाएंगे।
सुबोध तिवारी (सेक्रेटरी जनरल इंडियन योग एसोसिएशन, और सी. ई. ओ. कैवल्यधाम) ने कहा कि इस ई-कॉन्क्लेव के आयोजकों ने भारतीय आध्यात्मिक परंपरा में योग के विभिन्न सिद्धांतों और प्रथाओं के बारे में जनता के बीच जागरूकता पैदा करने का प्रयास किया है।
उन्होंने कहा कि मानव जाति की आधुनिक बीमारियों को ठीक करने के लिए योग अभ्यास और प्राणायाम ही एकमात्र तरीका है और योग कोई पूजा पद्धति या धर्म नहीं है। यह शरीर, मन और आत्मा को मजबूत करने की एक वैज्ञानिक प्रक्रिया है।
विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित डॉ. एच्. आर. नागेंद्र जी ने युवाओं से योग के इस ज्ञान को विश्व समुदाय में प्रसारित करने का आह्वान किया। कहा कि यही एकमात्र निश्चित साधन है जिसके माध्यम से हम पूर्ण स्वास्थ्य और दीर्घायु प्राप्त कर सकते हैं।
उन्होंने कहा कि हम भारतीय प्राचीन काल से सौ वर्षों तक बिना किसी आधुनिक चिकित्सा पद्धति के स्वस्थ जीवन जीते रहे हैं।
इस अवसर पर बोलते हुए मुख्य अतिथि परमार्थ निकेतन ऋषिकेश के संस्थापक स्वामी चिदानंद सरस्वती ‘मुनि जी’ ने योग के महत्व पर व्यापक प्रकाश डाला और कहा कि योग ही भारतीय जीवन पद्धति का मूल आधार है। कहा कि दुनियां भर के लगभग डेढ़ सौ देशों से लोग आज ऋषिकेश आकर योग और ध्यान का अभ्यास सीख रहे हैं।
उन्होंने कहा कि स्वस्थ तन मन और जीवन के लिए आज दुनिया भर में योग को एक आदर्श पद्धति के रूप में स्वीकार किया जा चुका है। उन्होंने भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की भी प्रशंसा किया कि उनके प्रयासों से योग को संपूर्ण विश्व में स्वीकार किया जा रहा है।
इस अवसर पर बोलने वाले अन्य वक्ताओं और गणमान्य व्यक्तियों में अचार्य एरिक मन्कुइज़ ने “योग का सार” पर बात की; कार्लोस जी चियारोटो, अमेदिओ बिआंची (प्रेजिडेंट वर्ल्ड मूवमेंट ऑफ़ योग एंड आयुर्वेदा – यूरोपियन योग फेडरेशन)
, ने “योग के महत्व” पर बात की; सुकदेव वोल्कर ब्रेटज़ ने “आज के परिदृश्य में परिवर्तनकारी योग और ध्यान” पर बात की; सर्व योग इंटरनेशनल की संस्थापक डॉ. एन्टोनीटा रोज़ी, ने “योग और ध्यान” पर बात की; दिव्यधारा योगाचार्य हेमलता ने “अपने आप को कैसे ठीक करें?” पर बात की; यूनिवर्सल बुक्स लखनऊ के मालिक गौरव प्रकाश, ने “आधुनिक समय में युवाओं की दिशा” पर बात की, और डॉ शक्ति कुमार पाण्डेय, निदेशक – सन्मार्ग ट्रेनिंग डाट काम ने “योग के व्यावहारिक पहलू” पर बात की।
कार्यक्रम का अध्यक्षीय उद्बोधन प्रोफेसर राजीव चोपड़ा ने किया |
कार्यक्रम का विशेष आकर्षण सुप्रसिद्ध गायक हिमांशु शर्मा की भजन प्रस्तुति थीं, जिन्होंने आर्ट ऑफ़ लिविंग का भी प्रतिनिधित्व किया। योगाचार्य बिपिन जोशी (संस्थापक योगपीठ देहरादून), श्रीमती अतिका ढांढिया (सीनियर फैकल्टी – आर्ट ऑफ़ लिविंग फाउंडेशन), श्री बी. आर. शर्मा ( वाईस चांसलर श्री श्री यूनिवर्सिटी ), डॉ. ईश्वर भरद्वाज जी (डीन अकादमिक अफेयर्स – देव संस्कृति विश्वविद्यालय), डॉ. सुरेश लाल बरनवाल जी (डीन योग एंड हेल्थ डिपार्टमेंट देव संस्कृति विश्वविद्यालय), हिमांशु पांडेय (एडिटर-इन-चीफ युथ न्यूज़ ऑनलाइन ), श्री पी. सी. कपूर (डायरेक्टर शिवानंद योग वेदांत नटराज सेंटर), श्रीमती क़रीन शेलशियर, दिव्यधारा योगाचार्य हेमलता जी इत्यादि अतिथि प्रमुख रूप से उपस्थित रहे |
कार्यक्रम का संचालन अलंकृता पांडेय ने किया ।