भगवती प्रसाद गोयल
देहरादून/हरिद्वार। नेशनलिस्ट यूनियन ऑफ जर्नलिस्ट्स ने पत्रकारों के लिए लागू ‘उत्तराखण्ड वयोवृद्ध पत्रकार पेंशन योजना’ की मौजूदा नियमावली में परिवर्तन की मांग करते हुए नियमावली में प्रस्तावित संशोधन के कई प्रस्ताव भेजे हैं। यूनियन के कहा है कि उत्तराखण्ड वयोवृद्ध संकटाग्रस्त पत्रकार पेंशन योजना’ का नाम बदल कर इसे ‘उत्तराखण्ड वयोवृद्ध पत्रकार सम्मान पेंशन योजना’ किया जाय। तथा शासनादेश के अंतर्गत पात्र पत्रकार को दी जाने वाली पांच हजार मासिक से बढ़ा कर धनराशि 15000/- (रूपये पंद्रह हजार मात्र) की जानी चाहिए। साथ ही योजना के अंतर्गत पेंशन हेतु आवेदक को कम से कम 15 वर्षों से सूचना विभाग द्वारा सुसंगत नियमावली के अधीन ही निरन्तर राज्य स्तरीय/जनपद स्तरीय मान्यता प्राप्त अथवा निरन्तर सक्रिय श्रमजीवी पत्रकार के रूप में कार्यरत् होना भी अनिवार्य किया जाने की बात कही है। यूनियन ने कहा है कि उत्तराखण्ड वयोवृद्ध पत्रकार पेंशन योजना की समिति के सदस्य को भी पेंशन के लिए अर्हता के अनुसार पात्रता प्रदान की जानी चाहिए। यूनियन के संरक्षक एवं प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य त्रिलोक चन्द्र भट्ट के माध्यम से भेजे गये संशोधन प्रस्ताव में यह भी मांग की गयी है कि किसी भी समाचार पत्र/पत्रिका का स्वामी/मुद्रक/प्रकाशक जो अपने प्रकाशन का स्वयं संपादक भी हैं उन्हें भी इस योजना का लाभ मिलना चाहिये। उनके अनुसार इस शासनादेश के अंतर्गत संबंधित पत्रकार को स्वीकृत पेंशन उसकी मृत्यु होने की दशा में उस पर आश्रित पत्नी/पति या नाबालिग पुत्र/पुत्री जिसकी आयु 18 वर्ष पूर्ण न हुयी हो, को इस प्रतिबंध के साथ पेंशन दी जाये कि वो किसी अन्य पेंशन योजना से आच्छादित न हों, तथा उनकी संपूर्ण वार्षिक आय 2.5 लाख से अधिक न हो, आश्रित को मूल पेंशन की 50 प्रतिशत राशि कम करते हुए उनके जीवन पर्यन्त प्रदान की जाये। जो आश्रित की मृत्यु की दशा में पेंशन स्वतः समाप्त हो जायेगी।