भगवती प्रसाद गोयल
ऋषिकेश, 5 सितम्बर। परमार्थ निकेतन में शिक्षक दिवस के अवसर पर श्री राम कथा का शुभारम्भ एकल भारत लोक शिक्षा परिषद् और परमार्थ निकेेतन के संयुक्त तत्वाधान में हुआ। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, अखाड़ा परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष महंत रविन्द्रपुरी जी महाराज, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानन्द जी महाराज, बाबा हठयोगी जी महाराज, स्वामी दुर्गादास जी महाराज के पावन सान्निध्य में कोषाध्यक्ष श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास, पूज्य गोविंददेव गिरि जी के मुखारबिंद से श्री राम कथा की शुरूआत हुई। पूज्य संतों ने एकल विद्यालय संगठन से जुड़ने का आह्वान करते हुये शिक्षा का दीप प्रज्वलित किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि श्री रामकथा भारतीय संस्कृति की अमूल्य विरासत है। यह किसी देश, काल या समुदाय की नही, बल्कि सम्पूर्ण मानवता के लिये है और हर युग के लिये प्रासंगिक भी है। श्री रामकथा सम्पूर्ण मानवता को आपस में जोड़ने और श्रेष्ठ मानव जीवन मूल्यों के साथ जीवन जीने का संदेश भी देती हैं।
भगवान श्री राम सनातन संस्कृति के उन्नायक और मर्यादाओं का पालन करने वाले हैं तथा महाग्रंथ रामायण में आदर्श जीवन को परिभाषित किया गया है। यह ग्रंथ मानवीय संबंधों की गरिमा और संवेदनाओं का महाकाव्य है। रामकथा बुराईयों के खिलाफ अच्छाई के लिये संघर्ष का प्रतीक है।
स्वामी जी ने देशवासियों का आह्वान करते हुये सभी को एकल विद्यालय संगठन और शिक्षा का दीप प्रज्वलित करने का संदेश देते हुये कहा कि प्रभु श्री राम के आदर्श हम सभी के जीवन का पाथेय बने।
कोषाध्यक्ष श्री रामजन्म भूमि तीर्थ क्षेत्र न्यास, पूज्य गोविंददेव गिरि जी ने कहा कि रामायण हमें संदेश देती है कि भगवान श्री राम के बिना रामराज्य की कल्पना करना भी संभव नहीं था। सहनशीलता व धैर्य भगवान राम के अद्भुत गुण है माँ गंगा के पावन तट से यह दिव्य गुण अपने साथ लेकर जाये यही श्रीराम कथा का दिव्य सार भी हैं।
ज्ञात हो कि एकल विद्यालय अभियान को एकल विद्यालय संगठन द्वारा ग्रामीण और जनजातीय भारत के एकीकृत और समग्र विकास के लिए शुरू किया गया है। एकल विद्यालय ‘एक शिक्षक वाले विद्यालय हैं, इस अभियान के अंतर्गत 2.8 मिलियन से अधिक ग्रामीण और जनजातीय बच्चे लाभान्वित हुए और हो रहे हैं। इसके तहत बुनियादी शिक्षा, डिजिटल साक्षरता, कौशल विकास, स्वास्थ्य जागरूकता, आधुनिक और उत्पादक कृषि एवं ग्रामीण उद्यमिता द्वारा आदिवासी और ग्रामीण समुदायों का सशक्तीकरण किया जाता है। एकल विद्यालय संगठन द्वारा अब तक 1 लाख से अधिक एकल विद्यालय खोले जा चुके हैं।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी और पूज्य संतों ने श्री गोविंददेव गिरि जी को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर माँ गंगा के पावन तट पर उनका अभिनन्दन किया।