स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने स्वामी कैलाशानन्द गिरि जी के अवतरण दिवस समारोह में किया सहभाग

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ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने श्री निरंजनी अखाडे के आचार्य महामंडलेश्वर एवं दक्षिण काली पीठाधीश्वर स्वामी कैलाशानंद जी के अवतरण दिवस समारोह में सहभाग किया। इस अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम जी, महामंडलेश्वर स्वामी अवधेशानन्द जी, पतंजलि योगपीठ के महासचिव आचार्य बालकृष्ण जी, महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतना नन्द जी, महामंडलेश्वर स्वामी उमाकांतानन्द जी और महिला कल्याण, बाल विकास एवं पुष्टाहार विभाग कैबिनेट मंत्री उत्तरप्रदेश श्रीमती बेबीरानी मौर्य जी, पूज्य संतों और अन्य विभिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया।

स्वामी चिदानन्द सरस्वती स्वामी कैलाशानन्द जी को रूद्राक्ष का पौधा और गंगाजली भेंट कर उनका अभिनन्दन किया तथा सभी पूज्य संतों को रूद्राक्ष का पौधा भेंट कर सभी को तथा सैकड़ों श्रद्धालुओं को ग्लोबल वार्मिग, क्लाइमेंट चेंज, मिशन लाइफ के बारे में बताते हुये अपने-अपने समुदाय स्तर पर कार्य करने का संकल्प कराया। इस अवसर पर गंगा गाथा पुस्तक का विमोचन किया गया ।आज आंग्ल नववर्ष के अवसर पर परमार्थ निकेतन गंगा तट पर विश्व शान्ति हवन किया जिसमें भारत सहित विभिन्न देशों से तीन दिवसीय रिट्रीट में आये साधकों ने सहभाग किया।स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि आंग्ल नव वर्ष सभी के लिये मंगलमय हो! सभी के जीवन में बहुत सारी खुशियाँ, समृद्धि और उत्तम स्वास्थ्य लेकर आये ऐसी प्रभु से प्रार्थना है। यह वर्ष सभी के लिये सौभाग्य, समृद्धि और शान्ति से युक्त हो। ऐसी माँ गंगा से प्रार्थना है। साथ ही उन्होंने संदेश दिया कि आने वाली चैत्र शुक्ल प्रतिप्रदा तिथि को नव वर्ष के रूप में धूमधाम से परिवार के साथ मनाये ताकि अपने मूल, मूल्य, संस्कार और संस्कृति सुरक्षित रह सके क्योंकि संस्कृति बचेगी तो प्रकृति और संतति बचेगी।इस अवसर पर कहा कि भारत के माननीय ऊर्जावान और यशस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने बड़ी ही सादगी, सात्विकता और सरलता से अपनी माताजी का अन्तिम संस्कार किया जो अपने आप में मिशाल है। उन्होंने विचारों की नई मशाल जलायी है। बड़ी ही सादगी से परिवार धर्म भी निभया और फिर राजधर्म भी निभाया यह वास्तव में अद्भुत और अभिनन्दनीय कदम है। इसी तरह की सादगी और सरलता को अपनाने का संदेश दिया।स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा कि नये वर्ष में हमें खुद को भी नया होना चाहिए। प्रकृति, पर्यावरण और सम्पूर्ण ब्रह्मांड में जैसे हर पल नव निर्माण हो रहा है उसी प्रकार हमें भी नए साल में प्रवेश करते हुये अपने विचारों से, अपनी सोच से नित नूतन होना है। नव वर्ष में विशेष कर युवाओं को अपनी जड़ों से जड़ने का संदेश दिया।स्वामी जी ने कहा कि नये वर्ष में नव संकल्पों के साथ प्रवेश करें। उन्होंने नए संकल्प कैसे बनाएं, संकल्प लेने और पूरा करने का सही तरीका क्या है? इस पर उद्बोधन दिया। अक्सर हम अपने जीवन में सकारात्मक बदलाव करने का अवसर चूक जाते हैं क्योंकि हम उचित अवसर की तलाश में होते हैं या हम तेजी से आगे बढ़ने के लिए इतना ऊंचा लक्ष्य निर्धारित करते हैं जिसे प्राप्त करने में कई बार हम असफल हो जाते है इसलिये संकल्पों को पूरा करने के लिये अपने लक्ष्यों को निर्धारित कर छोटे-छोटे कदमों के साथ आगे बढ़ना होगा।

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