डॉक्टर आचार्य सुशांत राज
देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की गुरु पूर्णिमा हिंदू महीने आषाढ़ की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है, जो इस साल 3 जुलाई को है। द्रिग् पंचांग के अनुसार पूर्णिमा तिथि 2 जुलाई 2023 को रात 8:21 बजे शुरू होगी और 3 जुलाई 2023 को शाम 5:08 बजे समाप्त होगा।
हिंदू धर्म में गुरु पूर्णिमा का काफी महत्व है। आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा कहा जाता है। गुरु पूजा और श्री व्यास पूजा के लिए पूर्णिमा तिथि को बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस बार गुरु पूर्णिमा का पर्व कल यानी 3 जुलाई, सोमवार के दिन मनाया जाएगा। इस दिन गुरु के आशीर्वाद से व्यक्ति धन- संपत्ति, सुख- शांति और यश की वरदान प्राप्ति होती है। गुरु पूर्णिमा के दिन ही वेदव्यास का जन्म हुआ था, इसलिए गुरु पूर्णिमा को व्यास पूर्णिमा भी कहा जाता है। गुरु पूर्णिमा के दिन दो विशेष योग बन रहे हैं। पहला ब्रह्म योग 2 जुलाई शाम 7.26 बजे से लेकर 3 जुलाई 3.35 बजे तक रहेगा. जबकि दूसरा योग इंद्र योग का है। यह योग 3 जुलाई दोपहर 3.45 बजे से 4 जुलाई 2023 की सुबह 11.50 बजे तक रहेगा।
डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की गुरु पूर्णिमा हिंदू धर्म में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण त्योहार है, जो गुरुओं की पूजा और उनकी कृपा प्राप्त करने के लिए समर्पित है। यह त्योहार आषाढ़ माह में पूर्णिमा तिथि को मनाया जाता है। इस दिन शिष्य अपने गुरु के चरणों को स्पर्श कर उनका आशीर्वाद लेते हैं और उनका आभार व्यक्त करते हैं। गुरु पूर्णिमा के पर्व को महर्षि वेद व्यास की जयंती के रूप में भी मनाया जाता है, क्योंकि व्यासजी को ही हिंदू धर्म में आदि गुरु माना जाता है और उन्होंने महाभारत की रचना की थी। हिंदू धर्म में गुरु को ईश्वर से भी बड़ा दर्जा दिया गया है। गुरु का सम्मान करने वाला व्यक्ति हमेशा सफल होता है। इसलिए गुरु पूर्णिमा के दिन व्यक्ति को गुरु के सामने कुछ गलतियों को करने से बचना चाहिए। कोई भी व्यक्ति को चाहे वो जीवन ने कितना भी सफल इंसान क्यों न बन जाए, उसे गुरु के समान आसन पर नहीं बैठना चाहिए। यदि गुरु कुर्सी पर बैठें हो तो व्यक्ति को कुर्सी पर नहीं बैठना चाहिए। हालांकि यदि गुरु जमीन पर बैठे हों तो शिष्य भी जमीन पर बैठ सकते हैं। गुरु के सामने दीवार या अन्य किसी चीज के सहारे टिक कर न बैठें। साथ ही गुरु के सामने पांव फैला कर न बैठें। ऐसा करना गुरु का अपमान करने के समान होता है। कभी भी अपने गुरु की बुराई न करें। ऐसा करना महापाप माना जाता है। वहीं यदि कोई दूसरा व्यक्ति गुरु की बुराई कर रहा हो तो उसे चुप कराएं या वहां से उठकर चले जाएं, क्योंकि गुरु की बुराई सुनना भी पाप के बराबर होता है। कोई व्यक्ति धन-दौलत के मामले में कितना भी बड़ा क्यों न हो जाए, उसे गुरु के समक्ष शोहरत का रौब कभी नहीं दिखाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि गुरु के द्वारा दिए गए ज्ञान के ही शिष्यों का कल्याण होता है। गुरु के ज्ञान का मोल किसी भी धन दौलत से नहीं चुकाया जा सकता है।
गुरु पूर्णिमा पूजन विधि :-
गुरु पूर्णिमा के दिन सुबह जल्दी उठकर घर की साफ- सफाई करें। इसके बाद स्नान करें और स्वच्छ कपड़े पहनें. इसके बाद साफ जगह पर गुरु व्यास की प्रतिमा को स्थापित करें। उन्हें चंदन, फूल और प्रसाद अर्पित करें। पूजा करते समय ‘गुरुपंरपरासिद्धयर्थं व्यासपूजां करिष्ये’ मंत्र का जाप करें। व्यास जी के चित्र को सुगन्धित फूल या माला चढ़ाकर अपने गुरु के पास जाएं। गुरू को वस्त्र, फल-फूल और माला अर्पण कर कुछ दक्षिणा यथासामर्थ्य धन के रूप में भेंट करके उनका आशीर्वाद लेना चाहिए।
गुरु पूर्णिमा महत्व
पौराणिक काल के महान व्यक्तित्व, ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद्भागवत और अट्ठारह पुराण जैसे अद्भुत साहित्यों की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था। इस दिन केवल गुरु की ही नहीं बल्कि परिवार में जो भी आपसे बड़ा है उसे भी गुरु तुल्य समझना चाहिए। आज के दिन गुरु के आशीर्वाद से जीवन का कल्याण और मंगल होता है। गुरु से मन्त्र प्राप्त करने के लिए भी यह दिन श्रेष्ठ है।
गुरु पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त
गुरु पूर्णिमा शुरू 2 जुलाई, रात 8 बजकर 21 मिनट से
गुरु पूर्णिमा खत्म – 3 जुलाई, शाम 5 बजकर 8 मिनट पर