देहरादून। महंत रविंदर पुरी मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट का कहना हैं की शनि देव को न्याय का देवता कहा जाता है। शायद यही वजह है कि शनि देव से सभी को डर लगता है। कई लोग तो शनि के प्रकोप से बचने के लिए उनकी हर शनिवार को पूजा पाठ अभिषेक आदि करते हैं। मगर शनि देव की पूजा करते वक्त कुछ बातों का विशेष ध्यान रखना जरूरी होता है।किसी भी देवी-देवता की पूजा करते वक्त आमतौर पर हमारी आंखें उनके स्वरूप को ही निहारती है। मगर जब हम शनि देव की पूजा कर रहे होते हैं, तो आपको उनकी आंखों की ओर नहीं देखना चाहिए। ऐसा कहा जाता है कि शनि देव की दृष्टि बहुत तेज होती है और अगर वह किसी मनुष्य पर पड़ती है तो उसका अनिष्ट हो सकता है। इसलिए हमेशा जब आप शनिदेव की पूजा करें तो आंखों को झुकाकर ही उनकी पूजा करें।
महंत रविंद्र पूरी ने कहा की शनि देव की पूजा हमेशा स्टील या लोहे के बर्तन में ही करनी चाहिए। भूल से भी पीतल और तांबे के बर्तन में आपको शनि देव की पूजा नहीं करनी चाहिए क्योंकि यह सूर्य का प्रतिनिधित्व करते हैं और शनि और सूर्य की नहीं बनती हैं। अच्छा होगा कि आप लोहे के बर्तन का ही इस्तेमाल करें क्योंकि लोहा शनि का प्रतिनिधित्व करता है। लोहे के बर्तन से शनि देव को जल चढ़ाना बहुत ही शुभ माना गया है, शनि देव के आगे दीपक जलाने के स्थान पर अगर आप उन्हें दीपक दिखाकर पीपल के पेड़ के नीचे रखती हैं, तो आपको इससे ज्यादा फायदे मिलेगे।क्योंकि पीपल का पेड़ शनिदेव को अतिप्रिय है। शनिदेव को आप सरसों के तेल का दिया ही जलाएं, सभी देवी देवताओं को मीठे का भोग चढ़ता है, मगर शनिदेव को काले तिल और खिचड़ी का भोग ही चढ़ाया जाता है। शनि देव को पीली खिचड़ी नहीं चढ़ती है। इसलिए उरद की दाल की खिचड़ी ही आपको बना कर शनि देव को चढ़ानी चाहिए। जब भी आप शनिदेव की पूजा करें तो आपको नीले या फिर काले कपड़े ही पहनने चाहिए। यह रंग शनिदेव का प्रतिनिधित्व करते हैं। अगर आप इन दो रंगों के कपड़े शनिवार को पहन कर शनिदेव की पूजा करते हैं तो आपको और भी फायदे होंगे। यह बात जान लें कि शनिदेव की पूजा सूर्य ढलने के बाद ही की जाती है।