भगवती प्रसाद गोयल
हरिद्वार। केरल, राजस्थान, महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात सहित दुबई से आये दो सौ अधिक मलयाली परिवारों को सात दिवसीय सनातन संवाद शिविर का आज समापन हो गया। शिविर में कुल 28 सत्र हुए, जिसमें यज्ञ का ज्ञान विज्ञान, संस्कार, संजीवनी विद्या, गायत्री महाविद्या, कर्मफल सिद्धांत सहित अनेक विषयों पर जानकारी दी गयी।
प्रतिभागियों ने शांतिकुंज अधिष्ठात्री स्नेहसलिला शैलदीदी से भेंट की और आशीर्वाद लिया। इस अवसर पर श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि गायत्री परिवार के संस्थापक युगऋषि पूज्य आचार्यश्री के विचारों में-साहित्यों में आज के समस्त समस्याओं का समाधान निहित है। इसका स्वाध्याय के बाद जीवन में उतारने से सफलता निश्चित है। श्रद्धेया शैलदीदी ने मलयाली भाषा में युग साहित्य एवं जन जागरण की गतिविधियों के विस्तार पर मार्गदर्शन किया। प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए युवा आइकॉन डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि मनुष्य का जीवन ईश्वर का सबसे बड़ा उपहार है। इसे संवारें और ईश्वरीय विधान के अनुसार जीवन जियें।
समापन सत्र को संबोधित करते हुए श्री उमेश शर्मा ने कहा कि मनुष्य एक विचारशील प्रणाली है। चिंतन, मनन करने की क्षमता के कारण ही दुनिया के अन्य प्राणियों से श्रेष्ठ माना गया है। परमात्मा ने मनुष्य को ही बौद्धिक शक्ति दी है, जिससे वे स्वयं सुखी रहें और अपने दूसरों को सुखी रहने के लिए सेवा, सुश्रुषा कर सकें।
शिविर के समन्वयक ने बताया कि सात दिवसीय इस सनातन संवाद शिविर में केरल, राजस्थान, महाराष्ट्र आदि सहित दुबई से भी मलयाली प्रतिभागी शामिल रहे। इन्हें धर्मतंत्र के लोकशिक्षण, यज्ञ का ज्ञान विज्ञान, सनातन संस्कृति के महात्म्य, संस्कारों की वैज्ञानिक पृष्ठभूमि आदि विषयों पर विस्तृत जानकारी दी गयी। सम्पूर्ण का मलयाली व अंग्रेजी में भाषान्तर श्री ज्योतिष प्रभाकरण एवं श्रीमती मीना कृष्ण कुमार ने किया। वहीं प्रतिभागियों ने तीर्थ नगरी हरिद्वार का भ्रमण कर यहाँ की संस्कृति से अवगत हुए। विदाई के पूर्व जन जागरण रैली निकाली, जिसमें मलयाली भाई बहिन सहित अनेक लोगों ने भाग लिया।