देहरादून। शनिदेव को न्याय व कर्म का देवता माना जाता है। वह व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं। वहीं शनि की कुदृष्टि से राजा भी रंक बन जाता है। ऐसे में हर व्यक्ति शनि की कुदृष्टि से बचने के लिए शनिदेव को प्रसन्न करने के लिए जतन करता है। आज यानी की 06 जून 2024 को शनि जयंती का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन शनि मंदिरों में श्रद्धालुओं की लंबी लाइनें लगी होती हैं। बता दें कि कुंडली में शनिदेव की स्थिति मजबूत होने से व्यक्ति को रोजगार, नौकरी और वाहन आदि का सुख मिलता है।
वहीं जिस भी जातक पर शनिदेव की वक्र दृष्टि होती है, उसका जीवन परेशानियों से घिरा होता है। वैसे तो हमारे देश में शनि देव के कई फेमस मंदिर हैं। लेकिन आज हम आपको शनि शिंगणापुर मंदिर के कुछ रहस्यों के बारे में बताने जा रहे हैं। मान्यता के अनुसार, शनिदेव की इस मंदिर में दर्शन मात्र से ही व्यक्ति को शनि दोष से मुक्ति मिल जाती है।
शनि शिंगणापुर मंदिर
शनिदेव को समर्पित यह मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित है। इस स्थान को शनिदेव का जन्म स्थान माना जाता है। बता दें कि इस मंदिर को सजीव मंदिर माना जाता है। यहां पर शनिदेव की काले रंग की प्रतिमा है, जिसे स्वयंभू माना जाता है। शनिदेव की शिला के ऊपर छत नहीं है। मंदिर में खुले आसमान के नीचे यह काले रंग की प्रतिमा स्थापित है। मान्यता के मुताबिक शनि शिंगणापुर मंदिर में दर्शन मात्र से ही व्यक्ति को शनिदोष से मुक्ति मिल जाती है।
खुले आसमान के नीचे है शनिदेव की प्रतिमा
पौराणिक कथा के मुताबिक एक बार शिंगणापुर गांव में भयंकर बाढ़ आ गई। जिसके कारण गांव डूबने की कगार पर आ गया। उस दौरान नदी में एक विशाल पत्थर बहकर आया। जब नदी का पानी कम हुआ तो चरवाहे ने उसी पत्थर को पेड़ पर देखा। जब चरवाहे ने इसे नीचे उतारकर तोड़ने की कोशिश की तो उस पत्थर से खून निकलने लगा। पत्थर से खून निकलता देख चरवाहा डर गया। उसी रात शनि देव ने चरवाहे को स्वप्न देकर उस पत्थर की प्राण प्रतिष्ठा करने को कहा। वहीं शनिदेव ने यह भी कहा कि मंदिर में छत की आवश्यकता नहीं है, क्योंकि पूरा आसमान ही उनकी छत है। इसी वजह से यहां मंदिर में छत नहीं है।
क्यों खुले रहते हैं घरों के दरवाजे
आपको बता दें इस शनि शिंगणापुर मंदिर में कोई पुजारी नहीं है। यहां पर वृक्ष तो हैं, लेकिन छाया नहीं है। शिंगणापुर के घरों में दरवाजे नहीं हैं, क्योंकि यहां पर कभी चोरी नहीं होती है। वहीं अगर कोई चोरी करता भी है, तो वह शिंगणापुर गांव की सीमा पार नहीं कर पाता है और उसे शनिदेव के क्रोध का सामना करना पड़ता है।