परमार्थ निकेतन गंगा जी की आरती में भगतसिंह का 83 वां जन्मदिवस मनाया

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ऋषिकेश, 18 जून। परमार्थ निकेतन में महाराष्ट्र के 22वें राज्यपाल, श्री भगत सिंह कोश्यारी जी और राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य माननीय श्री इन्द्रेश कुमार जी पधारे। सभी ने मिलकर विश्वविख्यात गंगा जी की दिव्य आरती में सहभाग किया।
परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी, आदरणीय श्री कोश्यारी जी और माननीय श्री इन्द्रेश कुमार जी ने राष्ट्रीय, अन्तर्राष्ट्रीय और समसामयिक विषयों पर चर्चा की।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने माननीय श्री कोश्यारी जी को जन्मदिवस की शुभकामनायें देते हुये कहा कि आप उत्तराखंड की संस्कृति के साक्षात स्वरूप हैं। आपने पहाड़ के विकास के लिये जो योगदान दिया वह अद्भुत और अविस्मरणीय है। कोश्यारी जी का मां गंगा, भारत की संस्कृति व संस्कारों से अद्भुत रिश्ता है। उनकी पोशाक व उनके जीवन से सात्विकता की संस्कृति के दर्शन होते हैं।
स्वामी जी ने भारतीय संस्कृति की महिमा के विषय में संदेश देते हुये युवाओं से कहा कि बात कपड़ों की नहीं है बात कर्मों की है; किरदारों की है, बात वस्त्रों की नहीं है बात विचारों की है इसलिये तो आज के समय में पूरा विश्व हिन्दुस्तान चालीसा पढ़ रहा है। जब हम अपने संस्कारों को जीते हैं और अपनी संस्कृति को जीवित रखने के लिये प्रयत्न करते हैं तो पूरा विश्व उसे स्वीकार करता है इसलिये अपनी संस्कृति से जुड़ें रहे, अपने मूल, मूल्य व जड़ों से जुडें़ रहें।
स्वामी जी ने कहा कि देवभक्ति सब अपनी अपनी करे लेकिन देव भक्ति सब मिलकर करे तथा राष्ट्र प्रथम की भावना हमारे दिलों में हो।
माननीय श्री भगत सिंह कोश्यारी जी ने कहा कि यह मेरे जीवन का सौभाग्य है कि मुझे अपने 83 वें वर्ष में प्रवेश के अवसर पर परमार्थ निकेतन मां गंगा के पावन तट पर पूज्य स्वामी जी और साध्वी जी का पावन सान्निध्य प्राप्त हो रहा है। हमारे जीवन का संध्या काल होता है परन्तु मां गंगा सदैव जीवंत व जागृत बनी रहे। उनका यौवन सदा बना रहे। मां गंगा जी की तरह ही हमारा जीवन भी सतत प्रवाहमान और गतिशील बना रहे। गंगा जी सभी को तृप्त करती है, कभी भेदभाव नहीं करती इसे हम अपने जीवन का आदर्श बनाये और आगे बढ़ते रहें।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के वरिष्ठ सदस्य माननीय श्री इन्द्रेश कुमार जी ने कहा कि प्रभु श्री राम ने कहा है कि ‘‘जननी जन्म भूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी’’ अर्थात जननी व जन्मभूमि स्वर्ग से महान होती है। हम सब अपनी मां की सेवा व सम्मान करेंगे तो तनावमुक्त जीवन जी पायेंगे और भारत माता के विकास और रक्षा के लिये कार्य करेंगे तो निश्चित रूप से स्वर्ग की प्राप्ति होगी।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने सभी विशिष्ट अतिथियों को रूद्राक्ष का पौधा व इलायची की माला उपहार स्वरूप भेंट की।
स्वामी जी विगत 34 दिनों से परमार्थ गंगा तट पर श्री राम कथा की ज्ञान गंगा प्रवाहित करने वाले संत श्री मुरलीधर जी का रूद्राक्ष का दिव्य पौधा देकर अभिनन्दन किया।

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