देहरादून। आज उत्तराखंड आंदोलनकारी संयुक्त परिषद से प्रवक्ता चिंतन सकलानी ने कहां की राज्य आंदोलनकारी की मांगों को सरकार गंभीरता से नहीं ले रही है जिस कारण आंदोलनकारी को दिक्कत का सामना करना पड़ा है इन सांसद और नेताओं की पेंशन ज्यादा दी जा रही है जबकि जिन्होंने राज्य बनाया राज्य आंदोलनकारी उनको भीख जैसी पेंशन दी जा रही है जिस कारण राज्य आंदोलनकारी को सड़क पर आना पड़ा है राज्य आंदोलनकारी ने राज्य इसलिए नहीं मांगा था कि आंदोलनकारी को ही सड़क पर आना पड़े जिन राज्य आंदोलनकारी की बदौलत यह नेता आज उत्तराखंड पर राज कर रहे हैं उन्हीं को आज दर-दर की टोकरे खानी पड़ रही है बीजेपी और कांग्रेस की लड़ाई में आंदोलन कार्यों की मांगों को नहीं सुना जा रहा है बीजेपी और कांग्रेस से मजबूर होकर आंदोलनकारी को सड़कों पर मजबूरन आना पड़ा है अभी तो राज्य आंदोलनकारी ने सचिवालय कूच किया है ऐसा ना हो कहीं कि राज्य आंदोलन कार्यों को मजबूरन सीएम आवास के आगे धरना देना पड़े जिन राज्य आंदोलन कार्यों ने अपने परिवार को खोया और उत्तराखंड राज्य बनाकर इन नेताओं के हाथ में दे दिया जिससे इन नेताओं ने उत्तराखंड का विकास करने के बजाय यहां भू माफिया का कब्जा होता जा रहा है भू माफिया यहां पर हमारी जमीनों पर कब्जा करते जा रहे हैं फिर भी सरकार मौन है साथ ही आंदोलनकारी की मांगों को नहीं माना जा रहा है अतः मेरा सरकार से निवेदन है कि हमारी मांगों को अतीशीघ्र पूरा किया जाए नहीं तो उत्तराखंड मैं सभी राज्य आंदोलनकारी जनता को साथ लेकर एक बड़ा आंदोलन छेड़ेंगे और एक बड़ा आंदोलन करेंगे मांगे नंबर 1 राज्य आंदोलन कार्यों चिन्हीकरण खोला जाए तथा छूटे हुए आंदोलनकारी का चिन्हीकरण शीघ्र किया जाए नंबर 2 राज्य आंदोलन कार्यों को 20000 समान पेंशन दी जाए ना की भीख तौर पर 430 हजार दिए जाएं 3 10% क्षत्रिय आरक्षण दिया जाए नंबर 4 भू कानून और मूल निवास लागू किया जाए