लखनऊ। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर सूबे में नई जनसंख्या नीति 2021-30 जारी की। नई जनसंख्या नीति के तहत सरकार ने जन्मदर कम करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस अवसर पर कहा कि बढ़ती आबादी विकास में बाधा है। हमको प्रजनन दर पर नियंत्रण लगाने की जरूरत है। उन्होंने उत्तर प्रदेश में नयी जनसंख्या नीति का ऐलान कर दिया गया है। सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि हर जाति, धर्म, समुदाय के लोगों को बढ़ी हुई आबादी पर नियंत्रण का ध्यान देना होगा। उन्होंने कहा, मैं बेहद खुश हूं कि इस नयी नीति का ऐलान हुआ विश्व जनसंख्या दिवस के मौके पर हुआ है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सरकारी आवास पर आयोजित कार्यक्रम में जनसंख्या स्थिरता पखवाड़े का भी उद्घाटन किया गया। इसमें योगी आदित्यनाथ ने इस समारोह में कोरोना संक्रमण से लडऩे के लिए राज्य की नीतियों का भी जिक्र किया और खुशी जतायी कि अयोध्या में 11 आरटी-पीसीआर लैब खोले गये हैं। उत्तर प्रदेश सरकार अब परिवार नियोजन कार्यक्रम के तहत सरकार गर्भ निरोधक उपायों की सुलभता को बढ़ाएगी और सुरक्षित गर्भपात की समुचित व्यवस्था देने का प्रयास भी करेगी। उन्नत स्वास्थ्य सुविधाओं के माध्यम से नवजात जन्म दर, मृत्यु दर व मातृ मृत्यु दर को कम करने तथा नपुंसकता/बांझपन की समस्या के सुलभ समाधान उपलब्ध कराने का प्रयास भी होगा। नई नीति में वर्ष 2026 तक जन्मदर को प्रति हजार आबादी पर 2.1 तक तथा वर्ष 2030 तक 1.9 तक लाने का लक्ष्य रखा गया है। 11 से 19 वर्ष के किशोरों के पोषण, शिक्षा व स्वास्थ्य के बेहतर प्रबंधन के अलावा, बुजुर्गों की देखभाल के लिए व्यापक व्यवस्था भी की जाएगी। नई नीति में आबादी स्थिरीकरण के लिए स्कूलों में हेल्थ क्लब बनाये जाने का प्रस्ताव भी शामिल है। इसके साथ ही डिजिटल हेल्थ मिशन की भावनाओं के अनुरूप प्रदेश में अब नवजातों, किशोरों व बुजुर्गों की डिजिटल ट्रैकिंग भी कराने की योजना है। उत्तर प्रदेश में जनसंख्या नियंत्रण को लेकर जल्द एक ठोस कानून शक्ल लेगा। अहम बात यह है कि कानून में आम लोगों के अलावा सरकारी अधिकारियों व कर्मियों से लेकर जनप्रतिनिधियों पर भी बड़े अंकुश लगाने की कोशिश है। आयोग ने दो से अधिक बच्चे वालों को स्थानीय निकाय चुनाव (नगर निकाय से लेकर पंचायत चुनाव तक) से वंचित रखे जाने की अहम सिफारिश राज्य विधि आयोग ने की है। आयोग नए कानून में सख्त प्रविधान लाने के पक्ष में है। आयोग ने कानून लागू होने के एक साल के भीतर सभी स्थानीय निकायों में चयनित प्रतिनिधियों से इस नीति के पालन का शपथपत्र लिए जाने तथा नियम तोडऩे पर उनका निर्वाचन रद किए जाने की सिफारिश की है। कहा है कि उन्हें फिर चुनाव भी न लडऩे दिया जाए।