डाक्टर आचार्य सुशांत राज
देहरादून। डाक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुए बताया कि साल का आखिरी महीना चल रही है और नया साल आने वाला है। दिसंबर 2021 के खत्म होते ही, नई तारीख के साथ घरों के कलेंडर बदल जाएंगे। एक नया महीना, नया साल लेकर आ जाएगा। केवल किसी एक देश में नहीं, बल्कि दुनिया के तमाम देशों में जनवरी की पहली तारीख से नए साल की शुरुआत होती है। भले ही सभी देशों का कल्चर अलग है, प्रथाएं अलग अलग हों लेकिन सभी देश मिलकर एक ही दिन न्यू ईयर मनाते हैं। साल का स्वागत करते हुए एक दूसरे को नए साल की शुभकामनाएं देते हैं। लेकिन कभी आपने सोचा की नया साल 1 जनवरी को ही क्यों मनाया जाता है? या नया साल मनाने की परंपरा कब से शुरू हुई? और क्या भारत में भी अन्य देशों की तरह 1 जनवरी को ही नया साल होता है? चलिए जानते हैं नए साल का इतिहास और एक जनवरी को नया साल मनाने की वजह।
जनवरी के पहले महीने से नए साल की शुरुआत होती है। हालांकि सदियों पहले नया साल 1 जनवरी को नहीं होता था। अलग अलग देशों में अलग अलग दिन पर नया साल मनाया जाता था। कभी 25 मार्च को नया साल का जश्न मनाते थे तो कभी 25 दिसंबर को नया साल होता था। लेकिन बाद में बदलाव हुआ और एक जनवरी को नया साल मनाया जाने लगा। इसकी शुरुआत रोम से हुई, जहां राजा नूमा पोंपिलस ने रोमन कैलेंडर में बदलाव किया। इस कैलेंडर के आने के बाद से जनवरी के पहले दिन नया साल मनाया जाने लगा।
साल के जनवरी महीने को पहले जानूस कहा जाता था। रोम के देवता का नाम जानूस था, जिनके नाम पर महीने का नाम पड़ा। बाद में जानूस को जनवरी कहा जाने लगा। सदियों पहले इजाद कैलेंडर में सिर्फ 10 महीने ही होते थे। बाद में साल में 12 महीने होने लगे। जिसमें जानूस के अलावा मार्स नाम का एक महीना था। मार्स युद्ध के देवता का नाम है। बाद में मार्स को मार्च कहा जाने लगा। जब साल में 10 महीने हुआ करते थे, तो पूरे साल में 310 दिन ही होते थे। उन दिनों एक सप्ताह में 8 दिन मनाए जाते थे। हालांकि रोम के शासक जूलियस सीजर ने रोमन कैलेंडर में बदलाव किए, जिसके बाद 12 महीनों का साल हुआ, जिसमें 365 दिन निर्धारित किए गए। सीजर ने खगोलविदों से जाना कि पृथ्वी 365 दिन और छह घंटे में सूर्य की परिक्रमा करती है। इसलिए सीजर ने साल के दिनों को बढ़ा दिया। वहीं साल की शुरुआत 1 जनवरी से की।