नए वैरिएंट ने उत्तराखंड के लिए भी खतरे की घंटी बजा दी

उत्तराखंड गढ़वाल समाचार

देहरादून। देश में कोरोना वायरस के नए वैरिएंट ओमिक्रोन का ग्राफ तेजी से बढ़ रहा है। वहीं, नए वैरिएंट ने उत्तराखंड के लिए भी खतरे की घंटी बजा दी है। राज्य में अब तक आठ मरीजों में ओमिक्रोन की पुष्टि हो चुकी है। इसके अलावा कई सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग की रिपोर्ट अभी आनी है। ओमिक्रोन वैरिएंट तीन गुना अधिक संक्रामक है और जिस तेजी से मामले बढ़े हैं, आने वाले वक्त में जीनोम सीक्वेंसिंग को लेकर चुनौती बढ़ सकती है। राज्य में अभी केवल दून मेडिकल कालेज में ही जीनोम सीक्वेंसिंग की जा रही है। मामले बढ़ने से लैब पर भी सैंपल का बोझ बढ़ रहा है। जानकार यह मानते हैं कि जीनोम सीक्वेंसिंग करना अच्छा कदम है, लेकिन जिस तेजी से मामले बढ़ रहे हैं, सभी सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग करना आसान नहीं होगा। यह एक लंबी प्रक्रिया है। अगर 100 सैंपल में 40 में ओमिक्रोन की पुष्टि होती है तो मान लेना चाहिए कि ओमिक्रोन लोग के बीच पहुंच गया है। फिर सभी सैंपल की जीनोम सीक्वेंसिंग करने की जरूरत नहीं है, बल्कि इसकी रोकथाम पर काम करने की जरूरत है। दून मेडिकल कालेज के प्राचार्य डा. आशुतोष सयाना ने बताया कि जीनोम सीक्वेंसिंग की जांच की प्रक्रिया में चार से छह दिन लगते हैं। अभी 80-80 सैंपल की दो चिप की जांच की प्रक्रिया चल रही है। आवश्यकतानुसार इसे बढ़ाया जाएगा। कालेज में हर माह एक हजार जांच का लक्ष्य रखा गया है।इधर, ओमिक्रोन के बढ़ते खतरे के बीच श्रीनगर व हल्द्वानी मेडिकल कालेज में भी जीनोम सीक्वेंसिंग शुरू करने की तैयारी है। जिसके बाद एक लैब पर दबाव नहीं रहेगा।

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