त्रैमासिक जूम मीटिंग के अंतर्गत इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रेडक्रॉस द्वारा एशिया पैसिफिक फर्स्ट एड जूम मीट का वर्चुअल आयोजन किया गया। इस ऑनलाइन मीट में भारत, मलेशिया, चीन, श्रीलंका, बांग्ला देश सहित एशिया पैसिफिक क्षेत्र के बीस से भी अधिक देशों के सर्व मास्टर ट्रेनर एवम फर्स्ट एड ट्रेनर सम्मिलित हुए। इस त्रैमासिक आयोजित की जाने वाली ऑनलाइन मीट में कोविड 19 के अंतर्गत प्राथमिक चिकित्सा अर्थात फर्स्ट एड के महत्व पर वार्ता की गई। फर्स्ट एड मीट में होस्ट सलोमी बौसिफ फर्स्ट एड ऑफिसर ने कुलालालमपुर से वर्चुअल मीट का आयोजन एवम संचालन किया। राष्ट्रीय मुख्यालय भारत नई दिल्ली एवम हरियाणा राज्य रेडक्रॉस के प्रतिनिधि नेशनल सर्व मास्टर ट्रेनर के रूप में इस वर्चुअल मीट में सम्मिलित हुए। गवर्नमेंट गर्ल्स सीनियर सेकेंडरी स्कूल एन आई तीन फरीदाबाद के जूनियर रेडक्रॉस काउन्सलर, सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड अधिकारी एवम सर्व मास्टर ट्रेनर प्रिंसिपल रविंद्र कुमार मनचन्दा भी इस वर्चुअल मीट में सम्मिलित हुए। आई एफ आर सी के स्थानीय प्रतिनिधि सलोमी बूसिफ ने कहा कि कोविड 19 के समय में सभी प्राथमिक सहायता ट्रेनर्स की भूमिका बढ़ जाती है तथा स्थानीय ट्रेनर्स एवम प्रशिक्षुओं को ट्रेनिंग मैनुअल के बारे में एवम समय समय पर फर्स्ट एड की नवीनतम तकनीक और हो रहे परिवर्तन की जानकारी होना अति आवश्यक है। फर्स्ट एड के अंतर्गत सर्दी के वातावरण में स्ट्रोक मैनेजमेंट, फर्स्ट एड का राष्ट्रीय एवम स्थानीय कंटेक्चूअलाइजेशन, फर्स्ट एड देते समय अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना, तीव्र रक्तस्राव, अनरेस्पोंसिवनेस, एबनॉर्मल ब्रेथिंग और चोकिंग जैसे विषयों पर विशेष रूप से अपडेट रहने के लिए कहा गया। नेशनल सर्व मास्टर ट्रेनर और प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि कोरोना के समय में प्रत्येक को प्राथमिक सहायता का ज्ञान और निपुणता महत्वपूर्ण है ऐसा करके हम सड़क दुर्घटनाओं एवम अन्य आपदाओं में पीड़ितों और संभावित घायलों की सहायता व बचाव एवम उपचार कर सकते हैं। एशिया पैसिफिक और आई एफ आर सी से मौसम बोहरा ने भी सभी प्रशिक्षकों से आग्रह और निवेदन किया कि वे प्राथमिक चिकित्सा का प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे प्रतिभागियों को प्रैक्टिकल और सिनेरियो क्रिएट कर अधिक से अधिक प्रैक्टिस के माध्यम से फर्स्ट एड की नवीनतम तकनीक सिखाएं ताकि नए प्रशिक्षक ज्ञानवान हों और कोरोना काल में रोगियों, पीड़ितों व दुर्घटनाओं के घायलों को बिना विलंब किए प्राथमिक सहायता उपलब्ध हो तथा इमरजेंसी रिस्पॉन्स सिस्टम प्रभावी प्रकार से सभी आवश्यकता वाले व्यक्तियों तक पहुंच सुनिश्चित कर पाए।
