देहरादून। भारत की स्वतंत्रता के 75 वें वर्ष (आज़ादी का अमृत महोत्सव) के उपलक्ष्य में वन अनुसंधान संस्थान देहरादून के रसायन विज्ञान और जैव पूर्वेक्षण प्रभाग द्वारा “गैस क्रोमैटोग्राफी (जीसी) और गैस क्रोमैटोग्राफी-मास स्पेक्ट्रोमेट्री (जीसी-एमएस) के सिद्धांतों और कार्य प्रणाली” विषयक आभासी कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस आभासी कार्यक्रम में भारत के विभिन्न हिस्सों के वैज्ञानिक और तकनीकी कर्मियों, छात्रों, शोध विद्वानों और करियर के इच्छुक लोगों सहित 40 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। कार्यशाला का उद्घाटन करते हुए इस अवसर के मुख्य अतिथि अरुण सिंह रावत महानिदेशक भारतीय वानिकी अनुसंधान और शिक्षा परिषद (आईसीएफआरई), देहरादून ने बताया कि एक कुशल, तेज और संवेदनशील विश्लेषणात्मक उपकरण के रूप में लोकप्रिय जीसी और जीसी-एमएस प्रौद्योगिकी के निरंतर विकास के फलस्वरूप ऐसे उपकरणों का अधिकधिक् प्रयोग हो रहा है। उन्होंने कहा कि गैस क्रोमैटोग्राफी ने फार्मास्यूटिकल्स, खाद्य पदार्थ, सौंदर्य प्रसाधन, स्वाद और सुगंध, खाद्य तेल, फोरेंसिक, पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उद्योग, पर्यावरण निगरानी आदि में अनुप्रयोगों के कई क्षेत्रों को उद्घाटित किया है, जिससे कुशल पेशेवरों के लिए उद्योग और अनुसंधान के क्षेत्र में संभावनाओ के रास्ते खुल गए हैं। इसलिए, जीसी और जीसी-एमएस के सिद्धांतों और कार्य प्रणालियों का एक अच्छा ज्ञान शिक्षार्थियों और पेशेवरों दोनों के लिए एक अत्यंत महत्वपूर्ण है। प्रारंभ में मुख्य अतिथि, संसाधन व्यक्तियों और कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रतिभागियों का स्वागत करते हुए डॉ. वाई.सी. त्रिपाठी, प्रमुख, रसायन विज्ञान और जैव पूर्वेक्षण प्रभाग, एफआरआई, देहरादून ने उच्च संवेदनशीलता, अपेक्षाकृत सस्ती परिचालन लागत और अनुप्रयोगों की बहुमुखी प्रतिभा के संदर्भ में जीसी और जीसी-एमएस प्रौद्योगिकी के महत्व और लाभों को रेखांकित किया। डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि जीसी और जीसी-एमएस के समकालीन और संभावित अनुप्रयोग को देखते हुए, शिक्षार्थियों, करियर के इच्छुक और पेशेवरों के लिए जीसी और जीसी-एमएस के सिद्धांतों और कार्य प्रणाली का एक अच्छा ज्ञान अनिवार्य हो गया है। उन्होंने वर्चुअल मोड में व्याख्यान और लाइव प्रदर्शन के माध्यम से जीसी और जीसी-एमएस की विभिन्न परिचालन और विश्लेषणात्मक प्रक्रियाओं पर सैद्धांतिक और व्यावहारिक ज्ञान प्रदान करने के लिए आयोजित कार्यशाला के विस्तृत कार्यक्रमों के बारे में भी बताया। तकनीकी सत्र की शुरुआत डॉ. वी.के. वार्ष्णेय, वैज्ञानिक-जी, रसायन विज्ञान और बायोप्रोस्पेक्टिंग डिवीजन (सी एंड बीपी डिवीजन), एफआरआई, देहरादून द्वारा “गैस क्रोमैटोग्राफी (जीसी) तकनीक” विषय पर व्याख्यान से हुई, जिसमें उन्होंने गैस क्रोमैटोग्राफ के सिद्धांत, यांत्रिक घटकों, संचालन प्रक्रियाओं और इसके अनुप्रयोगों के बारे में बताया। इसके बाद, डॉ. विनीत कुमार, वैज्ञानिक-जी, सी एंड बीपी डिवीजन, एफआरआई ने मास स्पेक्ट्रोमेट्री (एमएस) और गैस क्रोमैटोग्राफी से संयोजन में इसके कार्यों और अनुप्रयोगों के बारे में बात की। इसके बाद सी एंड बीपी डिवीजन के वैज्ञानिक-डी डॉ. एस.एस. बिष्ट ने जीसी-एमएस के सिद्धांत, यांत्रिक घटकों, संचालन प्रक्रियाओं और इसके अनुप्रयोगों के बारे में चर्चा की। जीसी और जीसी-एमएस के इंस्ट्रुमेंटल ऑपरेशन के विभिन्न पहलुओं, उद्देश्य-विशिष्ट विधि विकास और विभिन्न अनुप्रयोगों को प्रवीण आर्य, एप्लीकेशन साइंटिस्ट, एगिलेंट टेक्नोलॉजीज इंडिया प्राइवेट लिमिटेड द्वारा व्याख्यान और वीडियो प्रस्तुति के माध्यम से समझाया गया। अंत में, जीसी और जीसी-एमएस के कार्यात्मक पहलुओं जैसे नमूना तैयार करने, प्रोग्रामिंग, नमूना इंजेक्शन, डेटा अधिग्रहण और व्याख्या और रिपोर्ट निर्माण सहित विभिन्न विश्लेषणात्मक चरणों का लाइव प्रदर्शन श्री ए.के. सिंह, तकनीकी अधिकारी, एवं डॉ. वी.के. वार्ष्णेय, वैज्ञानिक-जी, सी एंड बीपी डिवीजन, एफआरआई द्वारा किया गया। तकनीकी सत्र के बाद चर्चा और प्रतिक्रिया सत्र के दौरान विषय विशेषज्ञों द्वारा प्रतिभागियों के प्रश्नों का उत्तर दिया गया एवं उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया गया। सभी प्रतिभागियों ने कार्यशाला की विषय-वस्तु एवं तकनिकी कार्यक्रमों के प्रति अपनी संतुष्टि व्यक्त की और कार्यशाला को बहुत ही ज्ञानवर्धक एवं उपयोगी बताया। कार्यशाला के संयोजक डॉ. वी.के. वार्ष्णेय द्वारा प्रस्तावित धन्यवाद प्रस्ताव के साथ कार्यशाला का समापन हुआ।