देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की संकष्टी चतुर्थी 20 फरवरी रविवार को है। प्रत्येक महीने में दो चतुर्थी आती हैं। पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। वहीं अमावस्या के बाद शुक्ल पक्ष में आने वाली चतुर्थी को विनायकी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। चतुर्थी भगवान गणेश की तिथि है। इस दिन कष्टों के निवारण के लिए भगवान गणेश की पूजा का विधान है। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज के अनुसार शाम को सूर्यास्त के पश्चात भगवान गणेश व चौथ माता का पूजन करें। इसके पश्चात चंद्रोदय होने पर चंद्र देवता को चांदी के सिक्के अथवा चांदी के किसी भी आभूषण को हथेली पर रखकर अर्घ्य प्रदान करें। ऐसा करने से घर में सुख समृद्धि आती है। इसके बाद चंद्र देवता को पंचोपचार पूजन कर नैवेद्य लगाएं तथा आरती करें। विधि पूर्वक पूजन संपन्न् करने के बाद उपवास का पारणा करें। भगवान गणेश को दुर्वा चढ़ाने से भी लाभ होता है। मांगलिक कार्य व प्रगति में आ रही बाधा के निवारण के लिए इस दिन संकटनाशनम् गणपति स्तोत्र का पाठ अवश्य करना चाहिए। ऐसी मान्यता है कि सूर्यास्त के बाद भगवान गणेश व चौथ माता का पूजन करें। भविष्य पुराण के अनुसार संकष्टी चतुर्थी की पूजा और व्रत करने से हर प्रकार के कष्ट दूर होते हैं। गणेश पुराण के अनुसार इस व्रत के प्रभाव से भक्त को सौभाग्य, समृद्धि तथा संतान सुख की प्राप्ति होती है। इस दिन सुबह स्नान आदि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेना चाहिए। दिन भर भगवान गणेश का ध्यान करते हुए धार्मिक कार्यों में समय व्यतीत करना चाहिए।
गणेश चतुर्थी का व्रत हर महीने के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है। इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा आराधना करने का विधान है। फाल्गुन मास में पड़ने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है। मान्यता है कि, इस दिन विधि विधान से गणेश जी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और व्यक्ति के जीवन से सभी संकट दूर हो जाते हैं। आज हम आपको फाल्गुन कृष्ण संकष्टी चतुर्थी व्रत तिथि, पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और इस दिन किए जाने वाले उपायों के बारे में बताएंगे।
संकष्टी चतुर्थी शुभ मुहूर्त 2022
फाल्गुन संकष्टी चतुर्थी व्रत तिथि साल 2022 में फाल्गुन मास की द्विजप्रिय संकष्टी चतुर्थी का व्रत 20 फरवरी, दिन रविवार को रखा जाएगा। चतुर्थी तिथि प्रारंभ 19 फरवरी रात्रि 09:56 बजे से चतुर्थी तिथि समाप्त 20 फरवरी रात्रि 09:05 बजे, चंद्रोदय का समय 20 फरवरी रात्रि 09:50 बजे
संकष्टी चतुर्थी व्रत पूजा विधि
संकष्टी चतुथी के दिन प्रात:काल उठकर स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें। अब पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र कर लें। चतुर्थी की पूजा दोपहर के समय करने का विधान है। इसीलिए दोपहर पूजा के शुभ मुहूर्त में भगवान गणेश जी की प्रतिमा पूजास्थल पर स्थापित कर विधिवत पूजा करें। पूजा में गणेश जी को धूप, दीप, कपूर, अक्षत और दूर्वा अर्पित करें। इसके बाद गणपति जी को लड्डू और मोदक का भोग लगाएं। तथा उनके मंत्रों का जाप करें, बाद में व्रत कथा पढ़ें या सुनें और अंत में गणेश जी की आरती करें। रात्रि में चंद्रमा को जल का अर्घ्य देकर व्रत संपन्न करें।