देहरादून। इसके अलावा नई सरकार के मुखिया के लिए पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक, केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट, सतपाल महाराज के नाम भी चर्चा में हैं। पार्टी सूत्रों के अनुसार बदली परिस्थितियों में मुख्यमंत्री के नाम को लेकर नेतृत्व मंथन में जुट गया है। हालांकि अधिक संभावना इस बात की है कि विधायकों में से ही मुख्यमंत्री का नाम तय किया जाएगा। ये चर्चा भी है कि बदली परिस्थितियों में पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक के अनुभव को देखते हुए पार्टी उन्हें भी अवसर दे सकती है। इस कड़ी में प्रदेश सरकार के मंत्री सतपाल महाराज, केंद्रीय राज्यमंत्री अजय भट्ट का नाम भी चर्चा में है। पार्टी सूत्रों के अनुसार सभी विषयों पर मंथन चल रहा है। एक-दो दिन में इसे लेकर तस्वीर साफ हो जाएगी।
जहां तक बात रमेश पोखरियाल “निशंक” की हैं तो वह भारतीय राजनीतिज्ञ तथा वर्तमान भारत सरकार में केन्द्रीय मानव संसाधन विकास मंत्री रहेे है वे उत्तराखण्ड भारतीय जनता पार्टी के प्रमुख नेता हैं और एक हिन्दी कवि भी हैं। वे वर्तमान समय में हरिद्वार क्षेत्र से लोक सभा सांसद है और लोक सभा आश्वासन समिति के अध्यक्ष हैं। रमेश पोखरियाल उत्तराखण्ड राज्य के पाँचवे मुख्यमंत्री रहे हैं। उनका जन्म पिनानी ग्राम, पौड़ी गढ़वाल तत्कालीन उत्तर प्रदेश (अब उत्तराखण्ड) परमानन्द पोखरियाल और विश्वम्भरी देवी के घर में हुआ था। रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ का विवाह कुसुम कांत पोखरियाल से हुआ।
उन्होंने हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी, श्री नगर , (गढ़वाल) उत्तराखंड से कला स्नातकोत्तर, पीएचडी (ऑनर), डी लिट् (ऑनर) की डिग्री प्राप्त की।छात्र ज़ीवन के दौरान, उन्होंने अकादमिक और अतिरिक्त गतिविधियों (पाठ्यक्रम के अतिरिक्त) दोनों में उत्कृष्ट प्रदर्शन कर विभिन्न सम्मानों को प्राप्त किया हैं। रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ भारतीय जनता पार्टी से संबंधित एक भारतीय राजनीतिज्ञ हैं।1991 में वे प्रथम बार उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए कर्णप्रयाग निर्वाचन-क्षेत्र से चुने गए थे। इसके बाद 1993 और 1996 में पुनः उसी निर्वाचन-क्षेत्र से उत्तर प्रदेश विधानसभा के लिए चुने गए। 1997 में वे उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के उत्तरांचल विकास मंत्री बनें। वह 16 वीं लोकसभा में संसद के एक सदस्य है, तथा 2009 से 2011 तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री थे। वर्तमान में लोकसभा में उत्तराखंड के हरिद्वार संसदीय निर्वाचन क्षेत्र का प्रतिनिधित्व करतें है और भारतीय जनता पार्टी के एक वरिष्ठ सदस्य है। 2009 से 2011 तक उत्तराखंड के पाँचवे मुख्यमन्त्री रहें। डॉ निशंक ने मुख्य्मंत्रीकाल में राजनैतिक कौशल, ज्ञान और ध्वनि समन्वय कौशल की सहायता से उत्तराखंड राज्य में हरिद्वार और उधम सिंह नगर को शामिल करने जैसे जटिल और संवेदनशील मुद्दों को सुलझाया। अंतरराष्ट्रीय फोरम में हिमालयी संस्कृति को लाने के लिए अनगिनत सफल प्रयास किए गए। राज्य से संचालित करने के लिए लघु उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्रीय बिक्री कर 4% से 1% कम किया। राज्य के सभी आवश्यक वस्तुओं और वस्तुओं के लिए 364 डिपो खोले और इस तरह से 61.75 करोड़ से 128 करोड़ रुपये के राजस्व में वृद्धि हुई। कुल कर संग्रहण में 575 करोड़ रुपये से 1100 करोड़ की बढ़ोतरी। विज्ञान और प्रौद्योगिकी की सहायता से पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले लोगों की जीवन शैली और जीवन शैली के स्तर को बढ़ाने के लिए कई योजनाओं को प्रारंभ किया। गंगा नदी की स्वछता तथा उसे प्रदूषण मुक्त करने के लिए स्पर्श गंगा अभियान की शुरुआत की।