आईआईटी रुड़की और एआरआईईएस संयुक्त रूप से द एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया की 40 वीं बैठक की मेजबानी करेंगे

उत्तराखंड गढ़वाल समाचार

रुड़की: इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी रुड़की (आईआईटीआर) और आर्यभट्ट रिसर्च इंस्टीट्यूट ऑफ ऑब्जर्वेशनल साइंसेज (एआरआईईएस), नैनीताल संयुक्त रूप से एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया (एएसआई) की 40 वीं वार्षिक बैठक की मेजबानी करेंगे। यह वार्षिक बैठक 25 मार्च से 29 मार्च 2022, तक आईआईटी रुड़की के परिसर में होगी। एएसआई की मुख्य बैठक 26 मार्च से 29 मार्च 2022 तक चलेगी। “एक-दिवसीय वर्कशॉप”, 25 मार्च 2022 को आयोजित की जाएगी, यह वर्कशॉप एएसआई की बैठक की एक नियमित और लोकप्रिय विशेषता बन गई हैं।
इस बैठक में सभी एएसआई सदस्यों के साथ-साथ रिसर्च इंस्टिट्यूट / विश्वविद्यालयों / कॉलेजों से संबद्ध , खगोल-विज्ञान (एस्ट्रोनॉमी) और खगोल-भौतिकी(एस्ट्रोफिजिक्स) या संबंधित क्षेत्रों में शोधकर्ता और विद्यार्थी शामिल हो सकते हैं।
उद्घाटन कार्यक्रम में प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रो. के. विजय राघवन ने शिरकत की। प्रो के. विजय राघवन वर्ष 2013 में पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किये जा चुके हैं , डेवलपमेंट जेनेटिक्स के क्षेत्र में एक प्रतिष्ठित प्रोफेसर और राष्ट्रीय जैविक-विज्ञान (बायोलॉजिकल साइंसेज) केंद्र के पूर्व निदेशक हैं। डेवलपमेंट बायोलॉजिकल साइंसेज, जेनेटिक्स और न्यूरोजेनेटिक्स उनकी विशेषज्ञता के क्षेत्र हैं।
इस डेटा-ड्रिवेन दुनिया में खगोल-विज्ञान और खगोल-भौतिकी के महत्व पर जोर देते हुए पीएसए के प्रो. के विजय राघवन ने कहा,”भारत को खगोल-विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी शोधकर्ता बनाने के लिए इसरो, एआरआईईएस, और अन्य प्रतिष्ठित संगठनों से देश में चल रहे प्रमुख प्रयासों के साथ-साथ हमारे लिए खगोल-विज्ञान और खगोल-भौतिकी की नींव को मजबूत करना जरूरी है, इस विषय में एएसआई इतना अच्छा कार्य कर रहा है और लगातार अपने प्रयासों को बढ़ा रहा है। और,यहां एएसआई समारोह में आकर मुझे बहुत खुशी हुई साथ ही अपने आप को सम्मानित सा महसूस कर रहा हूँ। ”
आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. अजीत के चतुर्वेदी ने कहा, “आईआईटी रुड़की, एआरआईईएस नैनीताल के सहयोग से एएसआई बैठक के प्रतिनिधियों का स्वागत करते हुए मुझे बहुत ख़ुशी हो रही है। यह आईआईटी रुड़की के विद्यार्थियों और फैकल्टी को खगोल-विज्ञान (एस्ट्रोनॉमी) के रोचक विषय के बारे में अधिक जानने का एक शानदार अवसर प्रदान करेगा। आईआईटी रुड़की में कई कार्यक्रम ऐसे है जो डायरेक्टली या इन-डायरेक्टली खगोल-विज्ञान (एस्ट्रोनॉमी) में अपना योगदान दे रहे हैं। मुझे उम्मीद है कि यह हमारे कैंपस में खगोल-विज्ञान (एस्ट्रोनॉमी) के क्षेत्र में शोधकर्ताओं और छात्रों की और अधिक रुचि बढ़ाएगा।”
एआरआईईएस के निदेशक प्रो दीपांकर बनर्जी ने कहा, “स्टार-प्लैनेट इंटरैक्शन की महत्वपूर्ण विशेषताओं और ग्रहों के पर्यावरण पर उनके प्रभावों को समझना विश्व स्तर पर एक तेजी से उभरता हुआ एक विषय है, जिसे हाल ही में गठित हुई अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय संघ आयोग (E4) से मान्यता प्राप्त है। इसलिए, एआरआईईएस एक्सओ-प्लेनेटरी प्रणालियों की ऑब्ज़र्वेशनल कैपेबिलिटीज में हो रही प्रोग्रेस में योगदान करने के लिए आभारी है।”
एएसआई की स्थापना वर्ष 1972 में हुई थी, इसलिए यह बैठक एएसआई के 50 साल पूरे होने के उपलक्ष्य में होगी। तब से ही यह भारत में प्रोफ़ेशनल खगोलविदों (एस्ट्रोनॉमर्स) का प्रमुख संघ बन गया है। फ़िलहाल इस सोसायटी में करीब 1000 सदस्य हैं। समाज का उद्देश्य भारत में खगोल-विज्ञान और विज्ञान से संबंधित शाखाओं को बढ़ावा देना है।

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