फरीदाबाद। राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन आई टी तीन फरीदाबाद की जूनियर रेडक्रॉस, गाइड्स और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड ने प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा की अध्यक्षता में मातृ दिवस के अवसर पर आयोजित विशेष कार्यक्रम में अध्यापकों और जूनियर रेडक्रॉस सदस्य छात्राओं ने मां को त्याग और ममता की मूर्ति बताया। मातृ दिवस पर छात्राओं ने एक विशेष नाटिका का मंचन भी किया। विद्यालय की जूनियर रेडक्रॉस और सैंट जॉन एंबुलेंस ब्रिगेड प्रभारी प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने कहा कि मां को हमारे पुराणों में
अंबा, अम्बिका, दुर्गा, देवीसरस्वती, शक्ति, ज्योति, पृथ्वी आदि नामों से संबोधित किया गया है। मां को माता, मात, मातृ, अम्मा, जननी, जन्मदात्री, जीवनदायिनी, जनयत्री, धात्री, प्रसू आदि अनेक नामों से पुकारा जाता है। रामायण में श्रीराम अपने श्रीमुख से मां को स्वर्ग से भी बढ़कर मानते हैं। वे कहते हैं जननी जन्मभूमिश्च स्वर्गदपि गरीयसी। अर्थात, जननी और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है तथा महाभारत में भी जब यक्ष धर्मराज युधिष्ठर से प्रश्न करते हैं कि भूमि से भारी कौन तब युधिष्ठर जवाब देते हैं माता गुरुतरा भूमेरू। अर्थात, माता इस भूमि से कहीं अधिक भारी होती हैं। अन्तर्राष्ट्रीय मातृत्व दिवस सम्पूर्ण मातृ-शक्ति को समर्पित एक महत्वपूर्ण दिवस है जिसका ममत्व एवं त्याग घर ही नहीं बल्कि सबके घट को उजालों से भर देता है। प्रधानाचार्य मनचंदा नेवकहा कि मां का त्याग, बलिदान, ममत्व एवं समर्पण अपनी संतान के लिए इतना विराट है कि पूरा जीवन भी समर्पित कर दिया जाए तो मां के ऋण से उऋण नहीं हुआ जा सकता है। संतान के लालन-पालन के लिए हर दुख का सामना बिना किसी शिकायत के करने वाली मां के साथ बिताए दिन सभी के मन में आजीवन सुखद व मधुर स्मृति के रूप में सुरक्षित रहते हैं। प्राचार्य मनचंदा ने कहा कि भगवान हर किसी के साथ नहीं रह सकता इसलिए उसने मां को बनाया। एक मां हमारे जीवन की हर छोटी बड़ी आवश्यकताओं का ध्यान रखने वाली और उन्हें पूरा करने वाली देवदूत होती है। कहने को वह मानव होती है तथापि भगवान से कम नहीं होती। मां ही मन्दिर है और मां ही पूजा है और मां ही तीर्थ है। आज छात्राओं ने अपने संबोधन में मां को परमपिता परमेश्वर की सर्वोत्कृष्ठ रचना बतलाते हुए एक लघु नाटिका का मंचन भी किया जिस में कुछ बच्चों द्वारा न चाहते हुए भी मां की उपेक्षा की गई थी तथा एक छात्रा ने मां की मित्र बन कर उपेक्षापूर्ण व्यवहार के बारे में सभी बालिकाओं को नाटिका के माध्यम से बताया। इस से प्रभावित होकर समयांतर पर बच्चों ने गलती मान कर भविष्य में पुनः ऐसा नहीं करने के लिए वचन दिए। प्राचार्य रविंद्र कुमार मनचंदा ने प्राध्यापिका सविता का बहुत ही सुंदर तैयारी कराने के लिए अभिनंदन किया।
