देहरादून। कोटद्वार में सुबह से हो रही मूसलाधार बारिश से भारी तबाही हुई है। कोटद्वार-पौड़ी नेशनल हाईवे पर कई जगह मलबा आया है। वहीं, एक स्थान पर सड़क खोह नदी में समा गई। इसके साथ ही आठ दिन बाद भारी वाहनों के लिए खुला हाईवे फिर से बंद हो गया है। सुबह कोटद्वार भाबर में एक उफनाए गदेरे (बड़ा नाला) में कार बह गई। इस दौरान चालक ने कार से कूदकर अपनी जान बचाई। बताया जा रहा है कि नदी में बहाव तेज होने पर लोगों ने चालक को आगे जाने से रोका पर वह नहीं रुका और जबरन नदी पार करने लगा। इस दौरान कार गदेरे में काफी दूर तक बह गई और क्षतिग्रस्त हो गई।
उत्तराखंड में मानसून की बारिश घातक सिद्ध हो रही है। दो महीने पहले शुरू हुई बारिश के बाद से प्राकृतिक आपदाओं में 78 लोग मौत के मुंह में चले गए, जबकि 47 लोग घायल हुए हैं, वहीं 18 अब भी लापता हैं। इनमें से 80 प्रतिशत से अधिक मृत्यु भूस्खलन के कारण हुई हैं। राज्य का कोई ऐसा पर्वतीय जिला नहीं है, जहां भवनों और सड़कों को भूस्खलन के कारण नुकसान नहीं पहुंचा हो। विशेषज्ञों की मानें तो बारिश का पानी पहाड़ों में रिसकर भूस्खलन का बड़ा कारण बन रहा है। इस वर्ष मार्च में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के राष्ट्रीय सुदूर संवेदी केंद्र (एनआरएससी) भूस्खलन पर आधारित मानचित्र रिपोर्ट में उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में भूस्खलन से खतरा बताया था। इस रिपोर्ट के अनुसार, रुद्रप्रयाग जिले को देश में भूस्खलन से सबसे अधिक खतरा है, जबकि भूस्खलन जोखिम के मामले में देश के 10 सबसे अधिक संवेदनशील जिलों में टिहरी दूसरे स्थान पर है। भारतीय भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण विभाग की एक रिपोर्ट के अनुसार उत्तराखंड का 72 प्रतिशत यानि 39 हजार वर्ग किमी क्षेत्र भूस्खलन से प्रभावित है।
1988 और 2022 के बीच उत्तराखंड में भूस्खलन की 11,219 घटनाएं दर्ज की गई हैं। वर्ष 2015 से अब तक उत्तराखंड में भूस्खलन की घटनाओं में 300 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। इस वर्ष अकेले रुद्रप्रयाग जिले में 15 जून से अब तक प्राकृतिक आपदाओं में 19 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है।
केदारनाथ यात्रा मार्ग के पास गौरीकुंड में चार अगस्त को हुए भूस्खलन के बाद से 15 अन्य लोग लापता हैं। वैज्ञानिक और स्थानीय लोग चिंतित हैं, क्योंकि मानसून के एक महीने से अधिक समय शेष रहते हुए पिछले साल की तुलना में लगभग पांच गुना ज्यादा भूस्खलन हुआ है। राज्य आपातकालीन संचालन केंद्र की ओर से जारी डाटा के अनुसार, 2022 में 245 की तुलना में इस वर्ष 1,123 भूस्खलन की घटनाएं हुई हैं।