भगवती प्रसाद गोयल
हरिद्वार। देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के प्रतिकुलपति डॉ चिन्मय पण्ड्या जी अपने सात दिवसीय विदेश प्रवास के बाद आज स्वदेश लौट आये। शांतिकुंज पहुंचने पर उनका भव्य स्वागत किया गया। अपने प्रवास के दौरान उन्होंने वियतनाम, सिंगापुर, जापान में युग चेतना एवं भारतीय संस्कृति का विस्तार किया। वहीं मुम्बई में युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या जी को विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय संबंध (वीटीआर) शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
युग चेतना के युवा संवाहक डॉ चिन्मय पण्ड्या ने बताया कि विदेशों में युवा भारतीय संस्कृति के सूत्रों को अपने व्यवहारिक जीवन में अपना रहे हैं। हिरोशिमा में जापान के प्रधानमंत्री माननीय फुमियो किशिदा की अध्यक्षता में हुए समारोह में विश्व के अनेक देशों के प्रतिनिधियों ने भारतीय संस्कृति एवं अखिल विश्व गायत्री परिवार के कार्यों को तर्क तथ्य एवं प्रमाण के साथ जाना। उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र की ओर से आयोजित इस समारोह में युवा संवाहक डॉ चिन्मय पण्ड्या एकमात्र भारतीय प्रतिनिधि रहे। विश्व स्वास्थ्य संगठन में योग विशेषज्ञ डॉ चिन्मय पण्ड्या ने वितयनाम के भारतीय दूतावास सहित कई संस्थानों में योग एवं आयुर्वेद को व्यावहारिक जीवन में अपनाने के लिए प्रेरित किया।
विवेकानंद अंतर्राष्ट्रीय संबंध शांति पुरस्कार सहित शताधिक राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त युवा आइकान डॉ चिन्मय पण्ड्या ने कहा कि युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा जी के आशीर्वाद एवं अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या जी एवं श्रद्धेया शैलदीदी के मार्गदर्शन से यह संभव हो पाया है। यह सम्मान मेरे केवल अकेले का नहीं है, वरन् करोड़ों गायत्री परिवार के सदस्यों का है।
उनकी इस उपलब्धि पर अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुखद्वय श्रद्धेय डॉ प्रणव पण्ड्या, श्रद्धेया शैलदीदी, श्री शिवप्रसाद मिश्र, व्यवस्थापक श्री महेन्द्र शर्मा, वेदमाता गायत्री ट्रस्ट के ट्रस्टी श्री हरीश भाई ठक्कर सहित करोड़ों गायत्री परिवार ने प्रसन्नता व्यक्त की।