राष्ट्रीय पेपर बैग दिवस – जूनियर रेडक्रॉस ने पेपर बैग के प्रयोग की अपील की

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दून रॉयल न्यूज़
फरीदाबाद। राजकीय कन्या वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय एन एच तीन फरीदाबाद की सैंट जॉन एम्बुलेंस ब्रिगेड, जूनियर रेडक्रॉस और गाइडस ने राष्ट्रीय पेपर बैग दिवस पर प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा की अध्यक्षता में प्लास्टिक थैलियों और प्लास्टिक बैग का प्रयोग समाप्त कर पर्यावरण संरक्षण के लिए प्रेरित किया। जूनियर रेडक्रॉस, ब्रिगेड अधिकारी व प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि प्लास्टिक बैग के आविष्कार से पहले सभी कपड़े या कागज के थैलों का प्रयोग करते थे। स्टोर विशेष रूप से किराने का सामान रखने के लिए कागज़ के थैले का प्रयोग करते थे और जैसे-जैसे वर्ष बीतते गए अलग अलग प्रकार का निर्माण होता गया, पुनर्नवीनीकरण सामग्री से नई नई वस्तुएं बननी शुरू हो गई। पेपर बैग पर्यावरण के लिए बायोडिग्रेडेबल और अच्छे हैं और इसलिए पेपर बैग डे की उपयोगिता और भी अधिक बढ़ जाती है। प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि पेपर बैग का उपयोग करने के कई फायदे हैं, जिसमें एक बड़ा सकारात्मक लाभ यह है कि ये बायोडिग्रेडेबल हैं और पर्यावरण के लिए प्लास्टिक बैग जैसे हानिकारक नहीं हैं इन्हें वेस्ट सामग्री से भी बनाया जा सकता है, आसानी से रिसाइकिल किया जा सकता है, और ये महंगे नहीं हैं। रविंद्र कुमार मनचन्दा ने कहा कि पेपर बैग पालतू जानवरों, अन्य जानवरों के लिए सुरक्षित हैं।
पेपर बैग का उपयोग खाद बनाने के लिए भी किया जा सकता है। एक पेपर बैग बहुत मजबूत होता है। पेपर बैग बनाने में प्लास्टिक बैग की तुलना में कम ऊर्जा लगती है। पेपर बैग 100% रिसाइकिल करने योग्य होते हैं और केवल एक महीने के भीतर सड़ जाते हैं तथा ये सभी आकृतियों और आकारों में और उन पर बहुत सुंदर प्रिंट के साथ आ सकते हैं, और कला और शिल्प के लिए या पैकेजिंग उपहार के लिए आसान हैं। पेपर बैग से गरीबों को रोजगार मिलता है। प्लास्टिक बैग तो फैक्ट्री से बनकर आते हैं जिसका पैसा उनके मालिकों को मिलता है लेकिन पेपर बैग गरीब मजदूर अपने घर पर ही बनाते हैं और स्थानीय स्तर पर उसे बेचते हैं। इससे उन्हें रोजग़ार भी मिलता है। इस का प्रयोग बढने से छोटे व्यापारी और इसे बनाने वाले लोगों की हालत में भी सुधार आ रहा हैं प्लास्टिक बैग के इस्तमाल से गन्दगी बढ़ती है। यह जल्दी नष्ट नहीं होता और लम्बे समय तक अपने प्लास्टिक फॉर्म में ही रहता है जिससे मिटटी भी प्रदूषित होती है। लोगों को इसे समझना होगा और पर्यावरण को बचाने के लिए प्लास्टिक के बदले पेपर बैग का इस्तमाल करना चाहिए। रविंद्र कुमार मनचन्दा और कॉर्डिनेटर प्राध्यापिका डॉक्टर जसनीत कौर ने कहा कि युवाओं को ज्यादा से ज्यादा प्रेरित करना है ताकि वे प्लस्टिक के स्थान पर पेपर बैग की उपयोगिता को समझे। अपने आस पास लोगों को इसके लिए जागरूक करें तभी परिवर्तन आएगा। आज हमें शपथ लेनी है कि प्लास्टिक के बैग के स्थान पर पेपर बैग या कपड़े का थैला ही चलन में लाएंगे। प्राचार्य रविन्द्र कुमार मनचन्दा और प्राध्यापिका जसनीत कौर ने छात्रा सृष्टि, प्रियांशी, रितु भारती, छवि और निशु का सुंदर, आकर्षक एवं वेस्ट मैटेरियल से पेपर बैग बना कर पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने पर प्रशंसा की और आभार व्यक्त किया तथा सभी से पेपर बैग का बार बार प्रयोग करने का आग्रह किया।

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