डॉक्टर आचार्य सुशांत राज
देहरादून। डॉक्टर आचार्य सुशांत राज ने जानकारी देते हुये बताया की साल का आखिरी सूर्य ग्रहण बेहद खास है। एक तो यह मार्गशीर्ष महीने की शनि अमावस्या के दिन लग रहा है। इसके अलावा इस ग्रहण पर राहु का भी साया रहेगा। 4 दिसंबर 2021, शनिवार को ग्रहण के समय आकाश मंडल में 5 ग्रह बुध, केतु, सूर्य, और चंद्र वृश्चिक राशि में रहेंगे। वहीं शुक्र धनु राशि में, मंगल तुला राशि में, शनि मकर राशि में, गुरु कुम्भ राशि में और राहु वृषभ राशि मे रहेंगे. इतना ही नहीं सूर्य, चंद्र, बुध पर राहु की दृष्टि रहेगी, साथ ही शनि पर मंगल और राहु की दृष्टि पड़ेगी। यह सब मिलकर एक अशुभ योग बनाएंगे। जो कि कुछ राशि वालों के लिए चुनौतीपूर्ण साबित होगा।
यह सूर्य ग्रहण 4 दिसंबर 2021 को सुबह 10:59 से दोपहर के 03:07 बजे तक रहेगा। चूंकि यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इसका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। यह खग्रास सूर्य ग्रहण दक्षिणी गोलार्ध के देशों जैसे- ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, अंटार्कटिका, दक्षिण अटलांटिक महासागर और दक्षिणी हिन्द महासागर में दिखाई देगा। इस ग्रहण का असर देश-दुनिया पर भी होगा। ग्रहण पर राहु की अशुभ दृष्टि के चलते राजनीतिक उठापटक हो सकती है। इसके अलावा महंगाई में इजाफा, जनाक्रोश की स्थिति पैदा हो सकती है।
सभी राशियों पर होगा असर
मेष : मेष राशि के जातकों की वाणी में इस दौरान तेजी रह सकती है। पेट से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं। खर्च और तनाव बढ़ेगा।
वृष : तनाव रहेगा। आत्मविश्वास में कमी महसूस करेंगे। वर्कप्लेस पर स्थिति अच्छी रहेगी।
मिथुन : समय अच्छा है। शत्रुओं पर विजय मिलेगी। काम सफल होंगे लेकिन सेहत का ध्यान रखें।
कर्क : धन-लाभ होगा। लेकिन पार्टनरशिप से नुकसान हो सकता है। घर में समस्या रह सकती है।
सिंह : पारिवारिक जीवन में समस्या रह सकती है। हड्डियों या जोड़ों की समस्या हो सकती है। धन हानि हो सकती है।
कन्या : समय अच्छा रहेगा। लाभ होगा। सेहत का ध्यान रखें।
तुला : गुस्से से बचें। किसी को भी अपशब्द न कहें। सेहत का ध्यान रखें।
वृश्चिक : गुस्से और तनाव का सामना करना पड़ सकता है। आर्थिक स्थिति ठीक रहेगी. सम्मान मिलेगा।
धनु : किस्मत साथ देगी। यात्रा पर जा सकते हैं। घर में भी स्थिति इच्छी रहेगी। खर्च बढ़ेगा।
मकर : धन लाभ होगा लेकिन किसी कारण से मानसिक चिंता में घिरे रहेंगे। कोई बीमारी या एलर्जी हो सकती है।
कुंभ : खर्च बढ़ेगा। तनाव बढ़ेगा। सेहत संबंधी समस्या हो सकती है।
मीन : संभलकर रहें। वर्कप्लेस पर मुश्किलें हो सकती हैं। यात्रा हो सकती है. खर्च बढ़ेगा।
सूर्यग्रहण लगता है
जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है और पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण या आंशिक रूप से ढक जाता है, तब सूर्यग्रहण लगता है। जबकि हिंदू धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय राहु और केतु की बुरी छाया धरती पर पड़ती है, जिससे ग्रहण लगता है।
सूर्य ग्रहण एक तरह का ग्रहण है जब चन्द्रमा, पृथ्वी और सूर्य के मध्य से होकर गुजरता है तथा पृथ्वी से देखने पर सूर्य पूर्ण अथवा आंशिक रूप से चन्द्रमा द्वारा आच्छादित होता है।
भौतिक विज्ञान की दृष्टि से जब सूर्य व पृथ्वी के बीच में चन्द्रमा आ जाता है तो चन्द्रमा के पीछे सूर्य का बिम्ब कुछ समय के लिए ढक जाता है, इसी घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। पृथ्वी सूरज की परिक्रमा करती है और चाँद पृथ्वी की। कभी-कभी चाँद, सूरज और धरती के बीच आ जाता है। फिर वह सूरज की कुछ या सारी रोशनी रोक लेता है जिससे धरती पर साया फैल जाता है। इस घटना को सूर्य ग्रहण कहा जाता है। यह घटना सदा सर्वदा अमावस्या को ही होती है। अक्सर चाँद, सूरज के सिर्फ़ कुछ हिस्से को ही ढ़कता है। यह स्थिति खण्ड-ग्रहण कहलाती है। कभी-कभी ही ऐसा होता है कि चाँद सूरज को पूरी तरह ढँक लेता है, इसे पूर्ण-ग्रहण कहते हैं। पूर्ण-ग्रहण धरती के बहुत कम क्षेत्र में ही देखा जा सकता है। ज़्यादा से ज़्यादा दो सौ पचास (250) किलोमीटर के सम्पर्क में। इस क्षेत्र के बाहर केवल खंड-ग्रहण दिखाई देता है। पूर्ण-ग्रहण के समय चाँद को सूरज के सामने से गुजरने में दो घण्टे लगते हैं। चाँद सूरज को पूरी तरह से, ज़्यादा से ज़्यादा, सात मिनट तक ढँकता है। इन कुछ क्षणों के लिए आसमान में अंधेरा हो जाता है, या यूँ कहें कि दिन में रात हो जाती है। ग्रहण प्रकृ्ति का एक अद्भुत चमत्कार है। ज्योतिष के दृष्टिकोण से यदि देखा जाए तो यह अभूतपूर्व अनोखा, विचित्र ज्योतिष ज्ञान है, जो ग्रह और उपग्रहों की गतिविधियाँ एवं उनका स्वरूप स्पष्ट करता है। सूर्य ग्रहण (सूर्योपराग) तब होता है, जब सूर्य आंशिक अथवा पूर्ण रूप से चन्द्रमा द्वारा आवृ्त (व्यवधान / बाधा) हो जाए। इस प्रकार के ग्रहण के लिए चन्दमा का पृथ्वी और सूर्य के बीच आना आवश्यक है। इससे पृ्थ्वी पर रहने वाले लोगों को सूर्य का आवृ्त भाग नहीं दिखाई देता है।